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Culprits: पुलिस तलाश रही परीक्षा पास कराने वाले गिरोह को एपीसी-जीसीए में अध्यक्ष (president)पद पर सबकी निगाहें हैं। यहां एनएएसयू्आई (nsui) और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (abvp) और निर्दलीय प्रत्याशियों
(independent candidates) के कड़ी टक्कर है। यहां 4 हजार विद्यार्थियों ने मतदान (no voate) नहीं किया। कम मतदान (low vote caste) से नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं। इसी तरह दयानंद कॉलेज (dayanand college) में भी 800 विद्यार्थियों ने वोट नहीं दिया। यहां भी एनएसयूआई और विद्यार्थी परिषद के प्रत्याशियों और बागियों में सीधी टक्कर है।
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RPSC: नौकरी का इंतजार, आरपीएससी की भर्ती में देरी मदस विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) में एनएसयूआई-अभाविप में सीधी टक्कर है। यहां माहौल कई दिन से तनावपूर्ण
(tention in uninversity) है। दो दिन पहले छात्र गुटों (students groups) में मारपीट भी हुई थी। कई संस्थाओं में छात्र संगठनों के कई कार्यकर्ताओं (workers) ने बागियों-निर्दलीयों को अंदरूनी समर्थन (internal support) दिया है।
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Devnani said…मंत्री भाटी का ट्वीट लोकतंत्र का हनन जातीय आधार जबरदस्त हावीछात्रसंघ चुनाव में जातीय आधार
(caste politics) हावी हो चुका है। एसपीसी-जीसीए दयानंद कॉलेज, राजकीय कन्या महाविद्यालय और एमडीएस विश्वविद्यालय में नागौर, कुचामन, मेड़ता, रेण, डीडवाना और अन्य इलाकों के विद्यार्थियों की संख्या बढ़ी है। यही वजह है कि जाट समुदाय
(jat cummunity) के प्रत्याशी सर्वाधिक मैदान (elections) में है। हालांकि दलित वर्ग (sc-st) और ओबीसी (obc) विद्यार्थी भी खासी तादाद में हैं, पर इन्हें कार्यकारिणी के अन्य पदों पर टिकट दिए जाते हैं।