कॉलेज और विश्वविद्यालय के भावी ‘ नेता’ (students leaders)जोर-शोर से चुनाव तैयारियों जुट गए हैं। सर्वाधिक नजरें 8 हजार विद्यार्थियों वाले सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय (spc-gca ajmer) पर टिकी हैं। यहां पिछली बार एनएसयू्आई (NSUI)ने अध्यक्ष पद जीता था। इस बार छात्राओं के अलावा कुछ छात्राएं भी अध्यक्ष पद पर ताल ठोकने की तैयारी में है। यहां अभाविप (ABVP) पिछले चुनाव में मिली हार का बदला चुकाने और एनएसयूआई सीट बरकरार रखने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। राजकीय कन्या महाविद्यालय में पिछले साल एबीवीपी ने चारों पद जीतकर एनएसयूआई को जबरदस्त चित्त किया था। यहां दोनों संगठन से जुड़ी छात्राएं दावेदारी में जुटी हुई हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय (mdsu ajmer) में पिछले साल मात खा चुकी एनएसयूआई फिर अध्यक्ष पद जीतने की तैयारियों में जुटी है। वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद अध्यक्ष पद के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रही है।
सुप्रीम कोर्ट (supreme court of india)ने साल 2017 में सभी कॉलेज और विश्वविद्यालयों को नोटा (NOTA) के इस्तेमाल के निर्देश दिए थे। यह सुविधा केवल सिर्फ ईवीएम (EVM)में उपलब्ध है। निर्देशों के बावजूद राज्य सरकार और संस्थाओं ने ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर (ballaot paper) से चुनाव कराए। इस बार भी सरकार और संस्थाएं गंभीर नहीं लग रही हैं।