प्रदेश के विश्वविद्यालयों में कुलपति सर्वोच्च पद है। सभी प्रशासनिक, शैक्षिक कार्य, प्रबंध मंडल/सीनेट और एकेडेमिक कौंसिल में में सदस्यों की नियुक्ति, विद्यार्थियों के परीक्षात्मक-शोध मामलों, नियुक्तियों और वित्तीय प्रकरणों का फैसला कुलपति ही करते हैं। मौजूदा वक्त करीब सात-आठ विश्वविद्यालयों में स्थाई कुलपति नहीं है। इसके अलावा महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में कुलपति के कामकाज पर नौ महीने से राजस्थान हाईकोर्ट की रोक लगी हुई है। ऐसी स्थिति में विश्वविद्यालयों का प्रभावित हो रहा है।
महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय और राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के एक्ट में प्रो-वाइस चांसलर (pro vice chancellor) नियुक्ति का प्रावधान है। प्रदेश के अन्य विश्वविद्यालयों के एक्ट में ऐसा प्रावधान नहीं है। लिहाजा सरकार सभी विश्वविद्यालयों में प्रो-वाइस चांसलर नियुक्ति को लेकर समान नियम बनाने की पक्षधर है। प्रो. वाइस चांसलर की नियुक्ति कुलपतियों की इच्छा पर छोडऩे के बजाय सरकार खुद करेगी। इसके लिए पूर्व कुलपतियों, शिक्षाविदें, यूजीसी से बातचीत शुरू की गई है।
प्रो-वाइस चांसलर को विश्वविद्यालय के कुलपति के समान ही शैक्षिक और प्रशासनिक कार्यों के अधिकार प्राप्त होते हैं। विशेषतौर पर स्थाई कुलपति का कार्यकाल खत्म होने, कुलपति की मृत्यु या विदेश यात्रा पर जाने, देश में किसी कॉन्फे्रंस-सेमिनार में व्यस्त होने पर प्रो-वाइस चांसलर ही कामकाज संभालते हैं। इससे विश्वविद्यालयों में कामकाज ठप या प्रभावित नहीं होता है।
दरअसल विश्वविद्यालयों के कुलपति (Vice chancellor)अपने अधिकारों में कटौती अथवा दखलंदाजी नहीं चाहते हैं। यही वजह है, कि कुछ विश्वविद्यालयों के एक्ट में प्रावधान होने के बावजूद प्रो-वाइस चांसलर की नियुक्त नहीं हो रही है। स्थाई कुलपतियों की किसी स्थिति में किसी प्रोफेसर अथवा समकक्ष शिक्षक को समान अधिकार देने की इच्छा नहीं है।
विधानसभा में विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक-2017 पारित किया गया गया था। अधिनियम की धारा 9 (10) के तहत किसी विश्वविद्यालय के कुलपति पद की कोई स्थाई रिक्ति, मृत्यु, त्यागपत्र, हटाए जाने, निबंलन के कारण या अन्यथा हो जाए तो उप धारा 9 के अधीन संबंधित विश्वविद्यालय के कुलसचिव तत्काल कुलाधिपति-राज्यपाल को सूचना भेजेंगे। कुलाधिपति सरकार से परामर्श कर किसी दूसरे विश्वविद्यालय के स्थाई कुलपति को अतिरिक्त दायित्व सौंपेंगे।
प्रो.कैलाश सोडाणी, कुलपति गोविंद गुरू जनजातीय विश्वविद्यालय