scriptस्मार्ट सिटी: सरकारी नुमाइंदे ही दे रहे आनासागर को ‘जल समाधिÓ | Smart City: Government representatives are giving 'water samadhi' to A | Patrika News
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स्मार्ट सिटी: सरकारी नुमाइंदे ही दे रहे आनासागर को ‘जल समाधिÓ

9 करोड़ खर्च कर किया गया झील संरक्षणअब 38 करोड़ खर्च कर पाथ वे के नाम पर पाटा जा रहा आनासागरअतिक्रमण हटाने के बजाय आनासागर को ही छोटा करने में जुटे अभियंताआनासागर के मूल स्वरूप से खिलवाड़,पाट कर बनाई जा रही है चौपाटीहजारों डम्पर मिट्टी व मलवा अब तक डाला

अजमेरJun 20, 2021 / 10:07 pm

bhupendra singh

construction work in anasagar

construction work in anasagar

भूपेन्द्र सिंह

अजमेर. ऐतिहासिक आनासागर Anasagar झील को संरक्षित करने के बजाय सरकारी नुमांइद ही ‘जल समाधीÓ देने पर उतारू हैं। राष्ट्रीय झील संरक्षण मिशन के तहत 10 साल पूर्व 9 करोड़ खर्च कर आनासागर झील उद्धार के नाम पर इसमें से सैकड़ों डम्पर मिट्टी निकालकर इसे गहरा किया गया। अब पिछले कई महीनों से स्मार्ट सिटीSmart City के अभिंयता पाथ-वे के नाम पर आनासागर को मिट्टी व मलवा डालकर पाटने की मुहिम में जुटे हैं। नगर निगम ने हाईकोर्ट hc के निर्देश पर नदी नालों से अतिक्रमण हटाकर उन्हें मूल स्वरूप में लाने के लिए कई जिलों में प्रयास किए जा रहे है लेकिन अजमेर में उल्टी गंगा बह रही है। अब स्मार्ट सिटी के तहत 38 करोड़ खर्च कर पाथवे के नाम पर आनासागर को पाट कर उसके मूल स्वरूप से ही खिलवाड़ किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी के अभियंता आनासागर में मिट्टी डालकर अपनी और ठेकेदारों की जेबें भरने में लगे हुए है।
एनएलसीपी पर फिर रहा पानी
राष्टीय झील संरक्षण मिशन के तहत आनासागर से 2 लाख 40 हजार घन मीटर मिट्टी निकाली गई थी। मिट्टी निकालने पर 3 करोड़ 20 लाख रूपए खर्च हुए थे। आनासागर जल ग्रहण क्षेत्र के लिए विकास के लिए वन विभाग द्वारा 206 हेक्टेयर भूमि में फेंसिंग तथा वनीकरण का कार्य किया गया जिसपर 84 लाख खर्च हुए। अब स्मार्ट सिटी के तहत करोड़ों खर्च कर हजारों डम्पर मिट्टी डालकर आना सागर के मूल स्वरूप को ही खत्म किया जा रहा है।
फुल टैंक लेवल का खुला उल्लंघन
नगर निगम द्वारा न्यायालय के निर्देश पर आनासागर में अतिक्रमण रोकने व भराव क्षमता के लिए निर्धारित किए गए फुल टैंक लेवल (एफटीएल) को स्मार्ट सिटी के अभिंयताओं ने दरकिनार कर खुद ही आनासागर को पाट कर चौपाटी बना रहे हैं। जबकि एफटीएल लेवल खतरे का निशान है,जिसके नीचे निर्माण करना खतरे से खाली नही है। एफटीएल के पिलर से 100 मीटर आगे जा कर आनासागर में चौपाटी निर्माण किया जा रहा है।
डीपीआर तैयार करने में भी मनमर्जी
इस कार्य की डीपीआरdpr बनाने में भी स्मार्ट सिटी के अभियंताओं ने पीएमसी की मोहर लगवाकर कार्य शुरु करवा दिया। डीपीआर तैयार करने में जमीन का मालिकाना हक की जानकारी भी नहीं ली गई। नियमक कायदे ताक पर रख अभियंताओं ने ही पाथ वे अलाइंनमेंट चेंज कर दिया। कम्पनी ने फुल टैंक लेवल (एफटीएल) को नजर अंदाज कर दिया। जबकि डीपीआर व कार्यों का ठेका 12.50 करेाड़ रूपए में पीएमसी को दिया गया है। मगर अभियंओं व ठेकेदारों का गठजोड़ शहर के प्रोजेक्टों पर भारी पड़ रहा है।
अतिक्रमियों को किया जा रहा नियमित
आनासागर से अतिक्रमण व कब्जे हटाने के बजाए सैकड़ों डम्पर मिट्टी डालकर इसे पाटा जा रहा है। खानापूर्ति कर आनासागर में पाथवे बनाया जा रहा है। चौपाटी बनने से आनासागर की जमीन भू-माफियाओं और अतिक्रमियों को सौंपी जा रही है। झील क्षेत्र में करीब 100 अतिक्रमण है।
कॉलोनियों में होगी जलभराव की समस्या,लगाने पड़ेंगे पम्प
आनासागर में पाथवे बनने से कई पानी का बहाव रूकेगा। कॉलोनियों में जल भराव की समस्या होगी। सागर विहार की तरह ही कॉलोनियों में पम्प लगाने पड़ेगें। अतिक्रमण भी नियमित होते जा रहे है। झील का एरिया कम होने से कम बरसात में ही समय से पहले ही आना सागर के गेट खोलने पड़ेगें, इससे निचली बस्तियों में जलभराव होगा।
रोकना था अतिक्रमण, खुद ही पाटने में जुटे
24 मार्च को 2021 को जिला कलक्टर की अध्यक्षता में जिला स्तरीय झील संरक्षण nlcp की बैठक में यह तय हुआ कि आना सागर झील क्षेत्र में मलवा डालकर भराव किए जाने को रोकने बाबत क्षेत्र में सीसीटी लगाए जाएं। जिससे कि अभय कमांड सेंटर में लगे हुए कैमरे से आना सागर क्षेत्र का कितना भाग कवर हो रहा है इसके लिए नगर निगम के 2 कर्मचारी अभय कमांड सेंटर में लगाए जाने थे और आनासागर के शेष रहे कैमरे लगाने की कार्रवाई की जानी थी। झील क्षेत्र में डाले गए मलवे को हटाने के लिए विधि अधिकारी से राय लेकर उपायुक्त नगर निगम के नेतृत्व में न्यायालय के दिशा निर्देशों के अनुसार मलवा हटाने की कार्रवाई की जानी थी इसके साथ ही झील के चारो ओर साइन बोर्ड पयाप्त मात्रा में लगाए जाने थे। मलवा डालने वाले वाहनों को जब्त करने की कार्रवाई की जानी थी। लेकिन स्मार्ट सिटी के अभिंयता इसे पाटने में लगे हुए है।
नहीं लगे सीसीटीवी
सीसीटीवी स्मार्ट सिटी को ही लगने थे जबकि खुद स्मार्ट सिटी के अभियंता ही झील में दिन दहाड़े मलवा डलवा रहे है। सीसीटीवी का अतापता नहीं है। बैठक कार्रवाई की पालना करने के बजाय स्मार्ट सिटी के अभियंताओं ने लॉक डान में 35 प्रतिशत कार्य पूरा बता दिया।
जल्दबाजी में करवा रहे घटिया निर्माण,न गुणत्ता का पता न लैब का
स्मार्ट सिटी के अन्य प्रोजेक्टों की तरह ही आना सागर पाथवे का प्रोजेक्ट भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। अभियंता जल्दबाजी में लीपापोती कर पाथ वे बनाने में जुटे हुए है। साइट पर न तो कहीं क्वालिटी कंट्रोल लैब है और न ही सुपर विजन के लिए स्मार्ट सिटी के अभिंयता ही। लोकल कम्पनियों का घटिया सरिया लगाया जा रहा है। बजरी के नाम पर मिट्टी लगाई जा रही वह भी बिना छाने। सीमेंट भी दोयम दर्जे का है। चौपाटी में दरारें, टेढ़ामेढ़ा निर्माण चौपाटी निर्माण में घटिया निर्माण सामग्री का आलम यह है कि निर्माणाधीन चौपाटी में बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गई है। निर्माण कार्य की तराई भी नहीं हो रही है। चौपाटी का निर्माण टेढ़ामेढ़ा हो रहा है। चौपाटी में पड़ी दरारें अभियंताओं को नजर नहीं आ रही है।
झील बनी व्यवासयिक गतिविधियों का अड्डा
झील में बनाए जा रहे पाथ वे के चलते अतिक्रमियों व भू-माफियाओं की बांछे खिल गई। झील के किनारे बड़ी संख्या में होटल व रेस्टोरेंट खोल लिए गए है। एडीए ने कई होटल व रेस्टोरेंट संचालकों को नोटिस दे रहे हैं लेकिन इसके बाद कार्रवाई नहीं हुई।
फैक्ट फाइल
ऐतिहासिक आनासागर झील का निर्माण सम्राट पृथ्वीराज चौहान के पितामह आनाजी ने 1137 में करवाया था। झील के किनारे 1637 में शाहजहां ने इसके किनारे दौलतबाग का निर्माण करवाया गया। झील की लम्बाई 13 किमी है। इसकी गहराई 14.4 फुट है जहां 4.75 मिलियन घनाकार पानी को एकत्रित किया जा सकता है। झील में नाग पहाड़ व बांडी नदी से पानी आता है। यह झील पर्यटन के केन्द्र के साथ ही करोड़ों रुपए की कमाई भी नगर निगम व सिंचाई विभाग करते हैं।
मास्टर प्लान में पाथ वे अनुमत नहीं
मास्टर प्लान में अनुमत गतिविधियों के तहत झील की परिधि क्षेत्र में पक्का निर्माण नहीं किया जा सकता। नवीन मास्टर प्लान में भी जो सीमा दर्शाई गई है उसका भी खुला उल्लंघन स्मार्ट सिटी के अभियंता कर रहे हैं। यह स्थिति तो तब है जब करोड़ों रूपए लेकर सलाहकार कम्पनी लगाई है। पुष्कर से लाई जा रही बुरड़ा मिट्टी आनासागर को पाटने के लिए पुष्कर बुरड़ा मिट्टी डम्परों से लाई जा रही है। स्मार्ट सिटी का लेबल लगाकर दिनभर डम्पर दौड़ रहे है। अभियंताओं शहर में चल रहे अन्य स्मार्ट सिटी के प्रोजेक्टों की मिट्टी भी लाकर आना सागर झील के पाटा जा रहा है।
इनका कहना है
जो एडिशनल चीफ तय करते हैं हम उसी लाइन पर चलते है। मैं जानकारी देने के लिए अधिकृत नहीं हूं।
अनिल विजय वर्गीय, मुख्य अभियंता स्मार्ट सिटी अजमेर
हम तो डीपीआर तैयार करते हैं, लैंड का टाइटल नहीं देखते है। पाथ-वे का अलाइनमेंट हमने तय नहीं किया है। ज्यादा जानकारी चीफ दे सकते है।
अरविंद अजमेर, टीम लीडर पीएमसी, अजमेर स्मार्ट सिटी
सरकार नदी तालाबों को विकसित करने के लिए पैसा खर्चा कर रही है। यहां मूल स्वरूप से ही खिलावाड़ हो रहा है। हम नई पीढ़ी को क्या देंगे। इस मामले में रिपोर्ट ली जाएगी।
सुनील सोनी, सदस्य स्टैंडिग कमेटी नगरीय विकास विभाग
(इस मामल में स्मार्ट सिटी के अतिरिक्त मुख्य अभिंयता अविनाश शर्मा से बात करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होनें फोन नहीं उठाया)

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