गेगल पुलिस ने छानबीन शुरू की, लेकिन परिवार ने मामले (family matter) को दबाए रखा। परिजनों ने पीडि़ता पर देवी-देवताओं का प्रकोप होने, बीमारी (illness) से ग्रस्त होने के तर्क दिए। गेगल थाना (gegal thana) राजेंद्र कमांडो ने मामले की तह में जाने के लिए सामाजिक और मनोवैज्ञानिक तरीका अख्यिार किया। परिजनों से पूछताछ (inquiry) के दौरान हर बार पीडि़ता (minor) की बीमारी और दैवीय प्रकोपक जानकारी मिली।
पुलिस ने कोई कामयाबी नहीं मिलती देख महिला कांस्टेबल (women cops)का सहारा लिया। कांस्टेबल ने गांव की हथाई पर महिलाओं (discuss with women ) से बातचीत करना शुरू किया। महिलाओं को सामाजिक और परिवारिक रिश्तों (family matters), लगातार बढ़ते दुष्कर्म (rape) मामलों की दुहाई दी गई। इससे धीरे-धीरे महिलाएं उनसे घुल-मिल गई। धीरे-धीरे पुलिस और महिला कांस्टेबल पीडि़ता के परिजनों तक पहुंच गए।
महिला कांस्टेबल और पुलिस ने पीडि़ता (minor) और उसकी मां (mother)को विश्वास में लेकर पूछताछ शुरू की। दोनों को भयग्रस्त देखकर पुलिस (police) को परिवार (family) के किसी सदस्य द्वारा दुष्कर्म करने का यकीन हो गया। पीडि़ता और उसकी मां ने एक-एक कर बातें बतानी शुरू की। इसमें नाबालिग का पिता (culprit father) द्वारा ही दुष्कर्म करना और क्लिनिक पर गर्भपात कराना बताया। यह सुनते ही पुलिसकर्मी भी हिल गए। उन्होंने सावधानी पूर्वक (alert) बातचीत की रिकॉर्डिंग (recording) और वीडियोग्राफी (vedigraphy) भी की। इसमें एक संगठन की भी अहम भूमिका रही।
नाबालिग से पिता द्वारा दुष्कर्म और गर्भपात मामले का खुलासा हुआ है। केस को मनोवैज्ञानिक तरीके से सुलझाया इसके चलते तह तक पहुंच सके। आरोपी को पॉक्सो एक्ट में गिरफ्तार किया गया है।