scriptShamefull: हिंदी तो पढ़ा नहीं सकते ढंग से, करना चाहते हैं देवनागरी लिपि में रिसर्च | Shamefull: Devnagari dept not opens in MDS University ajmer | Patrika News
अजमेर

Shamefull: हिंदी तो पढ़ा नहीं सकते ढंग से, करना चाहते हैं देवनागरी लिपि में रिसर्च

www.patrika.com/rajasthan-news

अजमेरOct 24, 2018 / 04:02 pm

raktim tiwari

hindi dept in mdsu

hindi dept in mdsu

अजमेर.

महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय में देवनागरी लिपि विभाग का इंतजार है। इसमें स्थानीय और प्रादेशिक स्तर की उन बोलियों का संरक्षण होगा, जिनकी कोई निर्धारित लिपि नहीं है। यूजीसी विश्वविद्यालयों से प्रस्ताव मांग चुका है। बीते एक साल से कोई निर्देश नहीं मिले हैं।
देश में सैकड़ों वर्षों से स्थानीय, प्रादेशिक स्तर पर कई बोलियां प्रचलित हैं। कश्मीर से कन्याकुमारी और राजस्थान से पूर्वोत्तर तक लोग इन बोलियों में संवाद करते हैं। कई बोलियां ऐसी हैं, जिनकी कोई तयशुदा लिपि नहीं है। यह स्थानीय जरूरत और परस्पर बातचीत का माध्यम हैं। अंग्रेजी और अन्य भाषाओं के चलते वक्त के साथ कई प्राचीन बोलियां लुप्त हो रही हैं। यूजीसी ने इन बोलियों को संरक्षित करने का बीड़ा उठाया है।
देवनागरी लिपि होगी माध्यम

बोलियों को संरक्षित रखने के उ²ेश्य से यूजीसी ने देवनागरी लिपि को आधार बनाया है। इसके लिए सभी केंद्रीय, राज्य स्तरीय विश्वविद्यालयों और इनके समकक्ष संस्थानों में देवनागरी लिपि विभाग स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। देवनागरी लिपि विभाग में उन बोलियों को संरक्षित किया जाएगा, जिनकी कोई निर्धारित लिपि नहीं है। यूजीसी ने पिछले साल जून में कई विश्वविद्यालयों से प्रस्ताव मांगे थे। इसके बाद से कोई निर्देश नहीं मिले हैं।
हिन्दी का आधार है देवनागरी

देवनागरी लिपि मूलत: हिन्दी भाषा का आधार है। यह बहुत विस्तृत और प्राचीन लिपि है। हिन्दी भाषा को समृद्ध और वैश्विक बनाने में इसका अहम योगदान है। देश के अधिकांश विश्वविद्यालयों में हिन्दी विभाग हैं। ऐसे में यूजीसी ने देवनागरी लिपि विभाग के माध्यम से स्थानीय, क्षेत्रीय और प्रादेशिक बोलियों को बढ़ावा देने की योजना बनाई है।
देश में प्रचलित बोलियां…..

मारवाड़ी, मेवाड़ी, ढूंढाडी, खैसरी, गमती, निमाड़ी, बंजारी, धंधुरी, कौरवी खड़ी बोली, पोआली, लरिया, भोजपुरी, मैथिली, मगही, गिलगिती, किश्तवाड़ी, लहंदा, पोंगुली, भुजवाली, धेनकनाल, किसनगैंजिया, मुल्तानी, कच्छी, कोंकणी, हलवी, कमारी, कटिया, कटकारी, शिओनी, भुइया, चकमा, राजवंशी, सरकी खडिय़ाठार और अन्य
देश में उच्च शिक्षण संस्थान

राज्य स्तरीय यूनिवर्सिटी-784, केंद्रीय विश्वविद्यालय-47, कॉलेज-40-45 हजार, नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी-22, अध्ययनरत विद्यार्थी-5 करोड़ (स्त्रोत-यूजीसी)

Hindi News/ Ajmer / Shamefull: हिंदी तो पढ़ा नहीं सकते ढंग से, करना चाहते हैं देवनागरी लिपि में रिसर्च

ट्रेंडिंग वीडियो