टॉयलेट की खराब स्थिति और मरम्मत कराने को लेकर मैनेजमेंट और कॉमर्स विभागाध्यक्ष प्रो. शिव प्रसाद करीब एक साल से प्रशासन को पत्रावलियां भेज चुके हैं। लेकिन मरम्मत नहीं हुई है। निलंबित कुलपति रामपालसिंह से लेकर कुलसचिव तक मामला पहुंचा लेकिन टॉयलेट के हालात नहीं सुधरे।
नियमानुसार शैक्षिक विभागों में जरूरी कामकाज के लिए 10 हजार रुपए इम्प्रेस्ट मनी रखी जाती है। लेकिन प्रो. प्रसाद ने बताया कि कुलसचिव कार्यालय ने उन्हें 25 हजार रुपए इम्प्रेस्ट मनी से टॉयलेट की मरम्मत कराने को कहा है, लेकिन विभाग के पास राशि नहीं है। इसके अलावा विश्वविद्यालय के अभियंता विभाग में मौजूद वक्त कोई अभियंता भी नहीं है।
करीब तीन महीने पहले मैनेजमेंट विभाग के प्रो. मनोज कुमार के क्वार्टर में छत का मलबा गिर गया था। प्रो. कुमार ने कुलपति को अवगत कराया तो प्रशासन ने तत्काल छत की मरम्मत करा दी। लेकिन बेटियों के मामले में प्रशासन दोहरा रवैया अपना रहा है। नियम-शर्तों का हवाला देकर मामला टाला जा रहा है। हालांकि कुलपति थानवी भी टॉयलेट की बदहाली से वाकिफ हैं।
विश्वविद्यालय परिसर में राजस्थान स्टेट रोड डवेलपमेंट कॉरपॉरेशन का कार्यालय है। वह नए भवनों का निर्माण कराता है। लेकिन पुुराने भवनों की मरम्मत को लेकर विवि और कॉरपॉरेशन मौन हैं। परिसर स्थित नचिकेता बॉयज हॉस्टल का पिछला हिस्सा दो साल से जर्जर है। लेकिन प्रशासन ने मरम्मत के बजाय हॉस्टल बंद कर दिया है।