आंकड़ों की जुबानी
7000 : अजमेर जिले में ट्रक-ट्रेलर (परिवहन विभाग के मुताबिक 30 हजार गुड्स वाहन)
1 लाख व्यक्ति : प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से व्यवसाय से है जुड़े (प्रति वाहन 15 व्यक्ति को मिलता है रोजगार)
यह था पहले
इनकम टैक्स विभाग पूर्व में धारा 44-एई के तहत छोटे ट्रांसपोर्टर जिनकी गाडिय़ों की संख्या 10 से कम है। उनको कागजी खानापूर्ति एवं ऑडिट कराने से राहत देते हुए उनसे फिक्स इनकम 90 हजार रुपए वार्षिक मानकर प्रतिमाह प्रति ट्रक 7500 रुपए टैक्स वसूला जाता था।
अब भार क्षमता से वसूली
इनकम टैक्स विभाग ने बजट 2018-19 में धारा 44-एई में छोटे ट्रांसपोटर्स को राहत देने की बात तो कही है लेकिन भारी वाहनों का इनकम प्रतिटन 1000 रुपए प्रतिमाह ग्रॉस व्हीकल वेट (जीवीडब्ल्यू) के आधार पर वसूला जा रहा है।
यूं समझें
व्हीकल ग्रास वेट (जीवीडब्ल्यू) 55 टन है तो ट्रांसपोर्टर को हर माह 55 हजार रुपए प्रति ट्रक इनकम टैक्स देना होगा। यह सालाना प्रति ट्रक 6 लाख 60 हजार रुपए होगा। पूर्व में दिए जाने वाले 90 हजार रुपए सालाना इनकम टैक्स का 7 गुना है।
एकल मोटर मालिक परेशान
ट्रक एंड ट्रेलर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन सचिव जगदीश झंवर ने बताया कि बढ़े टैक्स में सिंगल व दो-तीन मोटर मालिक परेशानी होंगे। एक-दो ट्रक की ऑडिट करवाना भी महंगा साबित होगा। बीते एक दशक में डीजल के दाम में दो गुना बढ़ोतरी हुई है। माल ढुलाई में डीजल, टोल टैक्स, परिवहन टैक्स के अलावा कई खर्च है जो वाहन मालिक को वहन करने पड़ते है। बढ़ते खर्च से व्यवसाय की कमर टूट जाएगी।
‘टूट जाएगी कमरÓ
ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पहले ही मंदी की मार झेल रहा है। ट्रक-ट्रेलर से कुल वजन के हिसाब से वसूले जाने वाले टैक्स से व्यवसाय पर विपरीत असर पड़ेगा। सिंगल व छोटे ट्रांसपोर्टर के लिए मुश्किल होगा। एक ट्रक-ट्रेलर पर 15 व्यक्ति का भरण-पोषण जुड़ा है। इसमें चालक, क्लीनर से लेकर मैकेनिक भी शामिल है लेकिन हालात यही रहे तो आगामी दिनों में मुश्किलें बढऩे वाली है।
-अमरसिंह यादव, अध्यक्ष ट्रक एंड ट्रेलर ट्रांसपोर्ट एसो. नसीराबाद