गुर्देजी ने उन्हें जानकारी दी कि आपातकाल के बाद इंदिरा गांधी अजमेर आई थीं तो कोई भी उन्हें दरगाह जियारत कराने के लिए तैयार नहीं हुआ, तब गनी गुर्देजी ने ही उन्हें जियारत करवाई थी। इस पर वाड्रा ने कहा कि उन्हें पूरी कहानी मालूम है। उन्होंने यह भी बताया कि गुर्देजी परिवार की ओर से उन्हें भेजे जाने वाला तबर्रुक भी मिलता है।
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यहां कपड़े में लिपटी है इंदिरा गांधी, कैसे मनाएंगे जयंती चादर भेजेंगे नहीं, परिवार को लेकर आऊंगा दरगाह ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में वाड्रा को गुर्देजी ने जानकारी दी कि प्रियंका गांधी भी उर्स के मौके पर चादर भेजती हैं। इस पर वाड्रा का कहना था कि हमेशा उनके परिवार की तरफ से यहां चादर भेजी जाती रही है लेकिन इस बार उन्होंने यह तय किया कि चादर नहीं भेजूंगा बल्कि खुद चादर लेकर अजमेर जाऊंगा। वाड्रा ने कहा कि वे जल्द ही अपने परिवार को लेकर भी दरगाह आएंगे। उन्होंने कहा कि यहां आकर न केवल सुकून मिला है बल्कि यहां के लोगों से बहुत इज्जत और प्यार मिला है। इसी तरह लोगों को हर धर्म का आदर करना चाहिए और एकजुट रहकर भाईचारा बनाए रखना होगा।
पूरी तरह गोपनीय रखा अजमेर आगमन के कार्यक्रम को रॉबर्ट वाड्रा मंगलवार दोपहर 12.30 बजे कड़े सुरक्षा घेरे में दरगाह पहुंचे। हालांकि वाड्रा की अजमेर यात्रा को लेकर सोमवार शाम को सूचना आ गई थीं लेकिन प्रशासनिक अधिकारी अधिकारिक तौर पर सूचना देने से कतराते रहे। यहां तक कि सोमवार रात तक उनके खादिम गनी गुर्देजी भी इससे अनजान रहे।
जबकि वाड्रा के अजमेर की सीमा में दाखिल होते ही पुलिस और प्रशासनिक अमला पलक पांवड़े बिछाए खड़ा नजर आया। इस दौरान सीआईडी जोन के आलाधिकारी के साथ निरीक्षक, जवान व आरएसी का बड़ा जाप्ता तैनात था। वाड्रा भी जेड प्लस सुरक्षा में अजमेर पहुंचे। यात्रा को गोपनीय रखे जाने से एक भी स्थानीय कांग्रेस नेता उनसे मिलने दरगाह या होटल नहीं पहुंचा। वाड्रा जियारत करने के बाद शहर के एक होटल में ठहरे। यहां उन्होंने दोपहर का भोजन भी किया।