यूजीसी के निर्देश पर सभी विश्वविद्यालयों ने देश में वर्ष 2009-19 से पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराना शुरू किया। इसमें महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय भी शामिल है। विश्वविद्यालय ने वर्ष 2010, 2011, 2015 और 2016 में परीक्षा कराई।
यूजीसी के प्रतिवर्ष परीक्षा कराने के निर्देशों की यहां कभी पालना नहीं हुई। पहले कोर्स वर्क बनाने में देरी हुई। फिर कोर्स वर्क को लेकर कॉलेज और विश्वविद्याल में ठनी रही। कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी के प्रयासों से पीएचडी के जटिल नियमों में बदलाव हुए। विश्वविद्यालय ने 2015 और 2016 में परीक्षा कराई। काफी प्रयासों के बाद 2017 में परीक्षा कराई गई।
..तो इस साल होगी परीक्षा नियमानुसार विश्वविद्यालय को इस साल भी पीएचडी प्रवेश परीक्षा करानी है। विश्वविद्यालय के शोध विभाग ने मार्गदर्शन के लिए कुलपति प्रो. कैलाश सोडाणी पास फाइल भेजी है। उनकी मंजूरी मिलते ही परीक्षा कार्यक्रम तय कर आवेदन लिए जाएंगे। मालूम हो कि यूजीसी ने शोध को गुणवत्तापूर्ण और बेहतर बनाने के लिए नया प्रस्ताव बनाया है। इसमें नैक की ए या ए डबल प्लस ग्रेडधारक विश्वविद्यलालयों को पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराने की अनुमति दी गई है।
विद्यार्थियों को इंतजार
शोध करने के इच्छुक कई विद्यार्थियों को पीएचडी प्रवेश परीक्षा का इंतजार है। वे कई बार विश्वविद्यालय में संपर्क कर चुके हैं। उधर विश्वविद्यालय के वर्ष 2102 से 2014 तक परीक्षा नहीं कराने का असर पिछले साल आठवें दीक्षांत समारोह में दिखा। समारोह में महज 20 पीएचडी डिग्री बांटी गई। ऐसा पहली बार हुआ जबकि पीएचडी उपाधियों की संख्या 50 से भी कम हैं। नवें दीक्षान्त समारोह में भी इतनी ही पीएचडी उपाधियां दिए जाने की उम्मीद है।
तो यूनिवर्सिटी की होगी जबरदस्त किरकिरी महर्षि दयांद सरस्वती विश्वविद्यालय को स्नातक और स्नातकोत्तर विद्यार्थियों की डिग्री समय पर तैयार करनी होगी। पिछले दिनों राज्यपाल एवं कुलाधिपति कल्याण सिंह ने वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय के मामले में नाराजगी जताई थी। इसको देखते हुए सभी विश्वविद्यालय सतर्क हो गए हैं