यूं तो ऐतिहासिक नगरी अजमेर दुनिया में धार्मिक नगरी के नाम से विख्यात है, लेकिन अब यहां की Food of Ajmer कढ़ी-कचौरी ने भी देश-दुनिया में अपनी महक फैलाई है। दुनिया के किसी भी कोने से कोई पर्यटक यहां आए और कढ़ी के साथ कचौरी-समोसा का जायका नहीं लिया, तो यात्रा अधूरी सी लगती है। ठीक वैसे ही अजमेर वाले भी घर आए मेहमान की खातिरदारी में कढ़ी-कचौड़ी का तड़का जरूर लगाते हैं। तभी तो प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी भी अपनी बेटी की शादी में यहां की कढ़ी-कचौरी की स्टॉल लगवाकर मेहमाननवाजी को यादगार बनाना नहीं भूल पाए। इस शादी में अंबानी के साथ क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर सहित देश की कई हस्तियों ने अजमेर की कढ़ी-कचौरी का स्वाद चखा। इतना ही नहीं देश के कई शहरों में ‘अजमेर की प्रसिद्ध कढ़ी-कचौरी’ के नाम से कई दुकानें भी संचालित हो रही हैं।
कढ़ी-कचौरी के व्यापारियों के अनुसार उनके यहां से अपने देश के अलावा अमरीका, बैंकाक, दुबई, लंदन, सिंगापुर, मलेशिया तक कढ़ी-कचौरी पैक होकर जाती हैं।
अजमेराइट्स गटक जाते हैं महीने में एक लाख लीटर कढ़ी
अजमेर में सुबह के नाश्ते की शुरुआत कढ़ी-कचौरी, कढ़ी-समोसा या कढ़ी-पकोड़ी ( Ajmer’s Food ) से ही होती है। शहर में करीब 70 साल पहले शुरू हुआ कढ़ी-कचौरी का चलन आज इतना फल फूल गया कि शहर में करीब 800 से 1000 छोटी-बड़ी दुकानें हैं। शहर का कोई कोना ऐसा नहीं है, जहां कढ़ी के साथ कचौरी या अन्य चाट नहीं मिलती हो। एक अनुमान के अनुसार शहर में रोजाना ढाई हजार लीटर कढ़ी की खपत है। ख्वाजा साहब का उर्स या अन्य विशेष मौकों पर यहां पर्यटकों की आवक बढ़ जाती है। ऐसे में महीने में करीब 1 लाख लीटर कढ़ी की बिक्री का अनुमान है।
नया बाजार की लस्सी और आम का कलाकंद कड़क्का चौकी की दहीथड़ी केसरंगज का मिल्क केक और गजक
जिले में यह खास
ब्यावर की तिलपट्टी किशनगढ़ का मक्खन बड़ा
मांगलियावास की रबड़ी ट्यूरिस्ट की जुबानी- दिल्ली में सुना था कि यहां की कढ़ी-कचौरी बहुत फेमस है, इसलिए अजमेर आया तो कढ़ी-कचौरी खाना नहीं भूला। वाकई लाजवाब है।
– रघुनाथ सिंह पाई, नई दिल्ली