यूजीसी और उच्च स्तर पर बजट नहीं मिलता देख विश्वविद्यालय ने स्मार्ट योजना (Smart city scheme) की तरफ कदम बढ़ाए। पिछले साल वैदिक पार्क के प्रस्ताव पर अजमेर विकास प्राधिकरण और स्मार्ट सिटी योजना के अधिकारियों से चर्चा की गई। पूर्व कुलपति प्रो. विजय श्रीमाली और मौजूदा कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह (prof rp singh)ने भी कुछ प्रयास किए पर नतीजा कुछ नहीं निकला।
दयानंद चेयर के लिए यूजीसी वित्तीय मदद करेगा। इसमें किताबों-जर्नल्स (books and journals) के लिए 1.50 लाख रुपए (पांच साल के लिए) 30 हजार रुपए (अतिरिक्त दो वर्ष के लिए), यात्रा भत्ता (स्थानीय-राष्ट्रीय)-1 लाख रुपए प्रतिवर्ष मिलेंगे। सचिवालय सहायता-1.50 लाख रुपए प्रतिवर्ष, कार्यशाला, सेमिनार, ग्रीष्मकालीन पाठ्यक्रम (summer course) और अन्य कार्य-1 लाख रुपए प्रतिवर्ष, और फील्ड वर्क, डाटा संग्रहण और अन्य कार्य के लिए 1.20 लाख रुपए प्रतिवर्ष मिलेंगे। लेकिन कुलपति के कामकाज पर रोक के चलते दयानंद चेयर का विधिवत उद्घाटन नहीं हो पाया है।
महर्षि दयानंद सरस्वती का अजमेर से खास नाता रहा है। 1883 में उनका आगरा गेट स्थित भिनाय कोठी में ही निर्वाण हुआ था। उनका अंतिम संस्कार पहाडग़ंज स्थित ऋषि निर्वाण स्थल में किया गया था। पुष्कर रोड पर आनासागर (Anasagar lake) के किनारे ऋषि आश्रम बना हुआ है। यहां प्रतिवर्ष ऋषि मेले का आयोजन होता है।