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mdsu ajmer: दो बार भरवा लिए फार्म, जाने कब होगी भर्तियां अन्तर संकाय पीएचडी भी नहीं नियमानुसार किसी विषय विशेष के शोध पात्रता परीक्षा
(reaseach entrance test) में शामिल नहीं होनेपर विद्यार्थियों को अन्तर संकाय (इन्टर डिस्पलेनिरी) में पीएचडी कराई जाती है। प्रबंध अध्ययन, कॉमर्स, सामाजिक विज्ञान और अन्य संकाय में कॉस्ट एन्ड एकाउंटेंसी, कम्प्यूटर, बिजनेस मैनेजमेंट सहित सीए-सीएस से जुड़े कई विषय शामिल हैं। इसके बावजूद इन विषयों (subjects) को शोध पात्रता परीक्षा में शामिल नहीं किया गया है।
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RPSC: जर्नलिज्म की डिग्री छोटी, डिप्लोमा है ज्यादा बढ़ा डिग्री पर विरोधाभास की स्थितिसीए-सीएस को शोध पात्रता परीक्षा में विषय/संकाय (subject and faculty) मानने को लेकर विश्वविद्यालय ने कोई फैसला नहीं लिया है। सीए-सीएस कोर्स में प्रवेश के लिए फाउन्डेशन परीक्षा (सीपीटी) होती है। इसमें बारहवीं में शामिल या उत्तीर्ण विद्यार्थी (12th pass students) बैठते हैं। इसके आधार पर वे विभिन्न ग्रुप क्लीयर कर चार्टर्ड एकाउन्टेंट अथवा कम्पनी सचिव बनते हैं। इसे स्नातकोत्तर डिग्री
(PG Degree) माना जाए या नहीं इसको लेकर पेच कायम है।
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Rajasthan high court: कुलपति और यूनिवर्सिटी की बढ़ी धडकऩ यह विवि कराते हैं पीएचडी (जर्नलिज्म, सीए-सीएस को) मुम्बई यूनिवर्सिटी, भावनगर यूनिवर्सिटी, मदुराई कामराज यूनिवर्सिटी, संभलपुर यूूनिवर्सिटी, राजीव गांधी यूनिवर्सिटी ईटानगर, बरकतुल्ला यूनिवर्सिटी भोपाल, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर, राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर, एम. एल. सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय उदयपुर, सरदार पटेल यूनिवर्सिटी गुजरात, महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी रोहतक, नागपुर यूनिवर्सिटी, मैसूर यूनिवर्सिटी, चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी मेरठ, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय और अन्य
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mdsu ajmer: हम तो करेंगे मनमानी, कौन करे राजभवन की परवाह देश में कई विश्वविद्यालय सीए-सीएस कर चुके अभ्यर्थियों को पीएचडी कराते हैं। यह डिग्री स्नातकोत्तर के समकक्ष मानी जाती है। मदस विश्वविद्यालय को भी इस पर विचार करना चाहिए।
डॉ. एम. एल. अग्रवाल, प्राचार्य एसपीसी-जीसीए