विश्वविद्यालय में 18 शिक्षक कार्यरत हैं। इनमें से एक शिक्षक निलंबित है। सरकारी अथवा प्राइवेट स्कूल में भी विषयवार पर्याप्त शिक्षक होते हैं। लेकिन विश्वविद्यालय इनसे भी पिछड़ा है। यहां मौजूदा वक्त इतिहास, राजनीति विज्ञान, रिमोट सेंसिंग, जूलॉजी, बॉटनी (साक्षात्कार हो चुके) में स्थाई शिक्षक नहीं है। कॉमर्स, प्योर एन्ड एप्लाइड केमिस्ट्री, अर्थशास्त्र, जनसंख्या अध्ययन, कम्प्यूटर विज्ञान में मात्र एक-एक शिक्षक हैं। जबकि पत्रकारिता, विधि, हिन्दी विभाग में तो शिक्षक भर्ती का मुर्हूत ही नहीं निकला है।
यूजीसी ने विश्वविद्यालय को बी डबल प्लस ग्रेड प्रदान की है। इसे ए या ए प्लस ग्रेडिंग नहीं मिलने की एकमात्र वजह शिक्षकों कमी है। नैक टीम ने विश्वविद्यालय में शिक्षकों की भर्ती को जरूरी बताया है। शिक्षकों की कमी के चलते ही विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या भी सीमित है।