आईसीएमआर की ओर से जेएलएन मेडिकल कॉलेज अजमेर प श्रीराम इंस्टीट्यूट के संयुक्त तत्वावधान में किए गए शोध को प्रमाणित किया गया है। विस्तृत अनुसंधान के लिए करीब 30 लाख रुपए का बजट भी जारी किया गया है। माइक्रोबायोलॉजी विभाग में हवन के लिए अलग से कक्ष बनाया गया। हवन से पूर्व एवं बाद में बैक्टीरिया के सैंपल लिए गए। इसके बाद केमिकल एनालिसिस किया गया। सैंपल की टेस्टिंग की गई। इसके बाद स्पष्ट हुआ कि रोगकारक बैक्टीरिया पर हवन का धुआं असरदार है।
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‘बैक्टीरिया इफेक्ट ऑफ हवन मेडिसिनल स्मॉक’ पर शोध किया था। हवन की सामग्री एवं औषधियों का पेटेंट मिल गया है। जीवाणु जनित बीमारियों के निदान के लिए ‘हवन’ कारगर साबित हुआ है। अब इसमें विस्तृत अनुसंधान किया जा रहा है।
– डॉ. विजयलता रस्तोगी, विभागाध्यक्ष माइक्रोबायोलॉजी, जेएलएन मेडिकल विभाग, अजमेर