किस एक्ट के कितने मुकदमें राजस्व मंडल में सर्वाधिक 36 हजार 732 मुकदमों टीनेंसी एक्ट से सम्बन्धित हैं। एसचीट एक्ट के 20, कोलोनाइजेशन के 1983 ,जमींदारी बिस्वेदारी अधिनियम के 6, जागीर/ एबोलेशन के 33, डायरेक्टर लैंड रिकॉर्ड के 34, पब्लिक डिमांड रिकवरी के 68, फोरेस्ट एक्ट के 12, राजस्थान भू-राजस्व अधिनियम के 23 हजार 310, लैंड रिफार्म एएलओई के 16 तथा सीलिंग अधिनियम के 850 मुकदमों पेंडिगpending हैं।
पेंडेसी का ग्राफ राजस्व मंडल में 4 प्रतिशत केस अपील से सम्बन्धित हैं। 83 प्रतिशत केस एक साल से अधिक पुराने हैं। 10 प्रतिशत केस एक साल से पुराने हैं। 4 प्रतिशत केस 6 महीने पुराने हैं। 2 प्रतिशत केस 1 साल पुराने हैं। 14 प्रतिशत केस अपील के हैं। 35 प्रतिशत केस दावे से जुड़े हैं। 6.5 प्रतिशत केस निगरानी के हैं। प्रार्थना पत्र के केस 22 प्रतिशत है। बहस के केस 10 प्रतिशत। अंतिम बहस से जुड़े केस 4.3 प्रतिशत है। नोटिस सम्मन से जुड़े 14 प्रशित केस है।
राजस्व अदालतों में 4 लाख मुकदमें पेडिंग राजस्व मंडल व राजस्व अधीनस्थ अदालतों में करीब 4 लाख पेंडिंग हैं। राजस्व मंडल के अलावा 3 प्रतिशत राजस्व मुकदमों डीसी कोर्ट में 4 प्रतिशत एडीएम कोर्ट, 2.8 प्रतिशत डीएम कोर्ट तथा 60 प्रतिशत केस उपखंड अदालतों मे पेंडिंग चल रहे है।
इसलिए बढ़ रही है पेंडेसी राजस्व मंडल में पुराने केस निस्तारण की दर कम हंै जबकि नए केस अधिक दर्ज हो रहे हैं, इसलिए पेंडेंसी बढ़ रही है। मुकदमों के दर्ज होने के बाद विपक्षी को नोटिस तामील होने और निचली अदालतों से रिकॉर्ड आने में ही कई कई साल लग जाते हैं। पुराने केसों के निस्तारण के लिए एकल व खंडपीठ का गठन तो हुआ है लेकिन पुराने केसों में वकील ही पैरवी करने से कतराते हैं। पिछले डेढ़ साल से राजस्व मंडल में केवल नाममात्र के फैसले ही हो रहे हैं। एक बार स्टे आदेश जारी होने के बाद कई साल तक स्टे जारी रहता है। कोरोना, लॉकडाउन के चलते करीब पांच माह तो काम ही नहीं हो सका।