पूरे मामले में कॉलेज शिक्षा निदेशालय की गलतियां भारी पड़ रही हैं। डॉ. मेहरा के मामले में ट्रिब्यूनल ने आदेश जारी कर कहा कि प्रार्थी को जिले में जहां पद खाली हो, ज्वाइनिंग दी जा सकती है। निदेशालय चाहता तो 28 फरवरी को नसीराबाद में प्राचार्य पद रिक्त होने पर मेहरा को लगा सकता था, पर ऐसा नहीं किया। 18 फरवरी को अतिरिक्त आयुक्त बी.एल. गोयल ने पत्र जारी कर कहा कि प्राचार्यों के 22 फरवरी तक अनिवार्य रूप से पदस्थापन स्थल पर कार्यभार संभालने पर पदोन्नति से फॉरगो मानते हुए आदेश निरस्त माने जाएंगे। लेकिन इसकी पालना नहीं हुई।
कॉलेज में कई तरह प्रशासनिक और गोपनीय परीक्षात्मक कार्य चलते हैं। इसीलिए दूसरे कक्ष में बैठने को आग्रह किया था, लेकिन डॉ. मेहरा ने इसे अन्यथा ले लिया।
डॉ. प्रतिभा यादव, प्राचार्य एसपीसी-जीसीए
दूसरे कक्ष में बैठने को कहा था। मैंने कहा कि हाईकोर्ट ने ज्वाइनिंग के आदेश दिए हैं, उन्हीं आदेश से बैठ रहा हूं। मैंने कोई अनर्गल बात नहीं कही।
डॉ. दीपक मेहरा