मेड़ता सिटी चावंडिय़ा निवासी व मदस विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष दीनाराम धोलिया पर लोहागल रोड जाजू आईटीआई के सामने स्थित रेस्टोरेंट के सामने कुछ युवकों ने लाठी-सरिए से हमला कर दिया। हमले में धोलिया के पैर में गंभीर चोट आई। उसे मित्र व परिजन पहले जेएलएन फिर हरिभाऊ उपाध्याय नगर स्थित निजी अस्पताल ले गए, जहां देर रात धोलिया के पैर की टूटी हड्डी का ऑपरेशन किया गया।
धोलिया ने क्रिश्चियन गंज थाना पुलिस को दी शिकायत में हमलावरों में जयमलसिंह टापवाड़ा, पंकज रूलानिया, चन्द्रपालसिंह चारण, हर्षवर्धन सिंह, सीताराम सहित अन्य पर हमले का आरोप लगाया। हमलावरों में शामिल जयमल सिंह टापरवाड़ा पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष धोलिया के खिलाफ एबीवीपी का प्रत्याशी था।
कार में आए हमलावर प्रारंभिक पड़ताल में सामने आया कि हमलावर सफेद रंग की कार में आए। रेस्टोरेंट पर चाय पी रहे धोलिया को अकेला देखकर लाठी-सरिए से लैस होकर उतरे युवकों ने घेरकर अचानक हमला किया।
कैम्पस में हुआ था विवाद छात्रसंघ चुनाव को लेकर पिछले कुछ दिन से विश्वविद्यालय में बाहरी व पूर्व छात्र नेता भी कैम्पस में दाखिल हो रहे हैं। अपने संगठन का वर्चस्व कायम करने को लेकर छात्रों में गुटबाजी लगातार गर्माती जा रही है। पिछले दो दिन से कैम्पस में छात्रों में विवाद व खींचतान की स्थिति बनी हुई थी। पिछले कुछ दिन से पूर्व अध्यक्ष धोलिया प्रतिद्वंद्वी गुट के निशाने पर था।
विद्यार्थियों ने नहीं दिखाई रुचि
लॉ कॉलेज में एलएलबी पाठ्यक्रम में हुए बदलाव को विद्यार्थियों का साथ नहीं मिला। कॉलेज ने बीते वर्ष नवम्बर और इस साल जनवरी-फरवरी में सेमिनार कराए। इनमें विद्यार्थियों की उपस्थिति गिनने लायक रही। लघु शोध प्रबंध इन्टरनेट पर उपलब्ध तथ्यों के आधार पर तैयार हुए। विद्यार्थियों ने केस स्टडी और डीड राइटिंग लेखन को भी ज्यादा तवज्जो नहीं दी। परीक्षा के दौरान किताबों के बजाय पास बुक पढऩे पर ही जोर रहा। इसके चलते नए पाठ्यक्रम पर सवाल खड़े हो गए।
वापस जाएंगे पुराने पैटर्न पर एलएलबी कोर्स में हुए नवाचार का हश्र देखते हुए विधि संकाय की पाठ्यचर्या समिति ने वापस पुराने पैटर्न पर लौटने का फैसला किया है। लॉ कॉलेज के सह आचार्य और पाठ्यचर्या समिति सदस्य डॉ. आर.एन. चौधरी के अनुसार विद्यार्थियों की बेरूखी के कारण ही एलएलबी पाठ्यक्रम में हुआ बदलाव सफल नहीं हुआ है। पुराने पैटर्न के तहत 80 नम्बर की थ्योरी और 20 नम्बर का साक्षात्कार (वाइवा) होता है। समिति ने विश्वविद्यालय को उसी पैटर्न को वापस लागू करने को कहा है।