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अजमेर

झींगा मछली : अमरीका, ऑस्ट्रेलिया समेत यूरोप के कईं देशों तक एक्सपोर्ट

अजमेर जिले के बीसलपुर बांध में भी झींगा मछली की बहुतायत, चूरू जिले के तारानगर तहसील के ढिंगी तहसील में कई किसानों ने अपनाया मत्स्य पालन व्यवसाय, राजस्थान के कई जिलों में इस मछली के कोरोबार ने पसारे पांव, खपत के साथ-साथ डिमांड भी बढ़ी

अजमेरAug 13, 2020 / 12:54 am

suresh bharti

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झींगा मछली : अमरीका, ऑस्ट्रेलिया समेत यूरोप के कईं देशों तक एक्सपोर्ट,झींगा मछली : अमरीका, ऑस्ट्रेलिया समेत यूरोप के कईं देशों तक एक्सपोर्ट,झींगा मछली : अमरीका, ऑस्ट्रेलिया समेत यूरोप के कईं देशों तक एक्सपोर्ट,श्रीगंगानगर की मॉडल टाउन कॉलोनी सैकिण्ड स्थित एक घर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण का रुप धरे बालक-बालिकाएं। पत्रिका,श्रीगंगानगर की मॉडल टाउन कॉलोनी सैकिण्ड स्थित एक घर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर राधा-कृष्ण का रुप धरे बालक-बालिकाएं। पत्रिका,झींगा मछली : अमरीका, ऑस्ट्रेलिया समेत यूरोप के कईं देशों तक एक्सपोर्ट

अजमेर/चूरू. झींगा मछली की काफी डिमांड रहने लगी है। राजस्थान के कई जिलों में मत्स्य पालकों को लिए यह मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है। इस मछली की खपत भी अच्छी है। दमा रोगियों के लिए मछली का सेवन बेहतर बताते हैं। साथ में कई विटामिन की भरपाई भी इससे हो जाती है। अजमेर जिले के बीसलपुर बांध में भी झींगा मछली की बहुतायत है। मछली ठेकेदार के लिए इसका व्यवसाय लाभदायक है।
मत्स्य पालकों की बढ़ी रूचि

इसी प्रकार चूरू तारानगर तहसील के ढिंगी तहसील में मछली पालन अपने पांव जमा रहा है। यहां की झींगा मछली अमरीका, आस्टे्रलिया के अलावा यूरोप के कई देशों में एक्सपोर्ट की जा रही है। मछली पालक रियाजत खान ने बताया कि किसानों ने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अब मछली पालन को भी मुमकिन कर दिखाया है। जानकारी के अनुसार जिले के तारानगर तहसील के ढिंगी की रोही, श्योपुरा, गागड़वास, रतनपुरा सहित 6 अन्य गांव के करीब 260 किसान इसका उत्पादन कर रहे हैं। पिछले सीजन में करीब 360 टन झींगा मछली यहां से सप्लाई की गई है।
पौंड में मत्स्य पालन

रोचक बात यह है कि यहां की झींगा मछली ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त राज्य अमरीका, सऊदी अरब के अलावा यूरोप के कई देशों में एक्सपोर्ट की जा रही है। झींगा मछली पालन से जुड़े किसानों के मुताबिक, पिछले तीन चार साल से इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं। किसानों ने यहां पौंड बना रखे हैं। इसमें झींगा मछली पालन का काम कर रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार पिछले सीजन में करीब 360 टन पैदावार इस क्षेत्र में हुई है। मछली के वजन के अनुसार 180 रुपए किलो से लेकर 600 रुपए किलो तक के भाव यहां मिल जाते हैं। इस हिसाब से करीब 15 करोड़ से अधिक की झींगा मछलियां यहां से एक्सपोर्ट हुई हैं।
देखरेख बहुत महत्वपूर्ण

झींगा मछलियों के पालन के लिए देखरेख बहुत महत्वपूर्ण है। दिन में करीब 18 घंटे पानी में एरियेटर चलाना पड़ता है, जिससे मछलियों को पूरी ऑक्सीजन व पोषण मिलता रहे। किसानों ने बताया कि फिलहाल बिजली कनेक्शन नहीं होने से ज्यादातर किसान डीजल जनरेटर से ही एरियेटर चला रहे हैं। इसके चलते उनकी लागत ज्यादा आ रही है।
मस्त्य पालन विभाग की ओर से इन किसानों को तकनीकी सहायता उपलब्ध कराया जाना चाहिए। गोपाल बालाण, डॉ. प्रशान्त, संदीप गागड़वास, राजेश पूनिया श्योपुरा, सुभाष महला ढिंगी आदि किसानों ने झींगा मछली पालन को बेहतर बताया है।

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