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अजमेर

अच्छी पहल : गांवों की मिट्टी से बन रहे ईको फ्रैण्डली गणेश

मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमाओं का दौर शुरू : ब्यावर उपखंड के जवाजा क्षेत्र के कई गांवों के तालाबों की मिट्टी से तैयार हो रही हैं गणेश प्रतिमाएं

अजमेरAug 26, 2019 / 01:40 am

dinesh sharma

अच्छी पहल : गांवों की मिट्टी से बन रहे ईको फ्रैण्डली गणेश

अच्छी पहल : गांवों की मिट्टी से बन रहे ईको फ्रैण्डली गणेश

नितिन कुमार शर्मा

जवाजा (ब्यावर).

अजमेर जिले के ब्यावर-जवाजा क्षेत्र में ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं की स्थापना की शुरूआत हो गई है। क्षेत्र के कुंभकार व कारीगर गांवों के तालाबों की मिट्टी से गणेश प्रतिमाएं बनाने लगे हैं। जवाजा क्षेत्र के नूंद्री मेन्द्रातान और नूंद्री मालदेव क्षेत्र के तालाबों की मिट्टी से शहरों में होने वाले गणेश महोत्सव के लिए प्रतिमाएं तैयार करके अंतिम रूप दिया जा रहा है।
पीओपी से होने वाले नुकसान को देखते हुए अब लोग ईको फैंडली गणेश प्रतिमाओं की स्थापना करने लगे हैं। क्षेत्र के कुंभकारों ने जवाजा पंचायत समिति के तालाबों के आस-पास पाई जाने वाली खाडिय़ा, काली, पीली व भूरी मिट्टी से गणेश प्रतिमा बनाने की कला सीख ली है।
कई कुंभकार गांवों की मिट्टी से गणेश प्रतिमा बनाकर रंग-रोगन कर बेच रहे हैं। इससे पहले कुंभकार सालभर तक मटकी, दीपक, सिकोरा, धुपेड़ा, गुल्लक सहित बरतन इत्यादि बनाए जा रहे थे। अब ईको फ्रैण्डली गणेश की तरफ लोगों का रुख बढऩे से कुंभकारों ने भी मिट्टी की प्रतिमाएं बनाना शुरू कर दिया है।
मिट्टी पर भी महंगाई की मार

समय के बदलते दौर में मिट्टी पर भी महंगाई की मार आ गई है। 30 साल से काम कर रहे कुंभकार गोपाल ने बताया कि 10 साल पहले तक 80 रुपए में एक बैलगाड़ी मिट्टी आ जाती थी। अब बैलगाडिय़ां तो बंद हो गई हैं। अब एक ट्रेक्टर मिट्टी के 2500 रुपए तक देने पड़ जाते हैं।
5 घंटे में एक प्रतिमा तैयार

मिट्टी से गणेश प्रतिमाओं को तैयार करने में काफी मेहनत लगती है। करीब 3-4 फीट तक बड़ी प्रतिमा बनाने में 5 घंटे का समय लग जाता है। सूखने के बाद रंग-रोगन किया जाता है।
पीओपी से पर्यावरण को नुकसान

कुंभकार मुरलीधर प्रजापत ने बताया कि वह पिछले 12 साल से मिट्टी के बर्तन बना रहा हैं। पिछले साल अनंत चतुर्दशी पर विसर्जन के समय तालाबों की स्थिति देखी तो बड़ा अजीब लगा। पीओपी से बनी गणेश प्रतिमाएं तालाबों के पानी को प्रदूषित करती हैं और पानी के जीव-जंतु भी मर जाते हैं।
इसी से सबक लेते हुए पिछले साल 5-10 प्रतिमाएं बनाईं। लोगों का अच्छा रुझान देखते हुए इस बार उन्होंने 100 से ज्यादा प्रतिमाएं तैयार की हैं। यह प्रतिमाएं 501 से 1100 रुपए तक हैं। मिट्टी की प्रतिमा पानी में विसर्जित करने पर पानी प्रदूषित नहीं होता और पानी में रहने वाले जीव-जंतु भी नहीं मरते।

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