कांग्रेस (congress) की पिछली और मौजूदा और भाजपा की पिछली सरकार (state govt) ने अजमेर को 24 घंटे में जलापूर्ति की कई बार घोषणाएं की। तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे (vasundhra raje) ने जलदाय विभाग को अजमेर को नियमित जलापूर्ति (drinking water) के निर्देश भी दिए गए। लेकिन विभाग ने शहर के लिए अतिरिक्त वाटर स्टोरेज टैंक (water storage), नई पाइप लाइन (news pipe line) के लिए 1 हजार करोड़ से ज्यादा का खर्चा बता दिया। तबसे यह मामला अधर में है।
सुप्रीम कोर्ट (supreme court of india)में याचिका दायर करने वाली वकील अल्पना शर्मा ने पत्रिका को बताया कि बीसलपुर बांध में 315.50 आरएल मीटर से ज्यादा पानी आ चुका है। इसके चार गेट खोले (four gate) गए हैं। इसके बावजूद जिले (ajer district) के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 48 से 72 घंटे में जलापूर्ति हो रही है। जबकि जयपुर को रोजाना पानी दिया जा रहा है। इसके अलावा जयपुर में मावठा तालाब भी बीसलपुर (bisalpur dam) से भरा जा रहा है। उन्होंने पत्रिका की 24 घंटे में जलापूर्ति संबंधित खबर को भी याचिका (PIL)के तथ्यों में शामिल किया है। साथ ही राज्य सरकार और जलदाय विभाग (PHED) को पक्षकार बनाया है।
पूर्व मंत्री ललित भाटी ने पत्रिका से बातचीत में कहा कि बीसलपुर बांध की नींव अजमेर को २४ घंटे में जलापूर्ति के लिए ही पड़ी थी। 1998-2002 की गहलोत सरकार (Ashok gehlot) ने जलदाय विभाग को 75 एमएलडी स्टोरेज टैंक, पाइप लाइन डालने के लिए बजट दिया। बाद की भाजपा-कांग्रेस सरकार ने 25-25 एमएलडी के स्टोरेज टैंक, पाइप लाइन के लिए बजट दिया। सांसद रहते सचिन पायलट (sachin pilot) ने भी पाइप लाइन डालने के लिए पैसा दिया। इतना सब होने के बावजूद जलदाय विभाग २४ घंटे में सप्लाई के संसाधन नहीं विकसित कर सका है।
-11 टीएमसी पानी चाहिए जयपुर, अजमेर, और टोंक जिले के लिए
-1.70 टीएमसी पानी प्रतिवर्ष हो जाता है वाष्पीकृत -1 टीएमसी पानी होता है चोरी और काश्तकारी पेटे के उपयोग