प्रदेश में 7 दिसम्बर को विधानसभा चुनाव होंगे। इसको लेकर जिला प्रशासन सरकारी महकमों, इंजीनियरिंग कॉलेज, राजकीय महाविद्यालयों, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड, महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय सहित अन्य संस्थाओं के स्टाफ की ड्यूटी लगा रहा है। विश्वविद्यालय में शनिवार को चुनाव ड्यूटी का पत्र भेजा गया। इसे देखते हुए जबरदस्त हलचल मच गई।
केवल बख्शा महिलाओं को
विश्वविद्यालय में 24 मंत्रालयिक-चतुर्थ श्रेणी महिला कार्मिक और छह महिला प्रोफेसर-रीडर हैं। जिला प्रशासन ने महिला स्टाफ को छोडकऱ पूरे स्टाफ की चुनाव ड्यूटी लगाई है। इनमें प्रोफेसर, रीडर, कुलसचिव, वित्त नियंत्रक, उप कुलसचिव, सहायक कुलसचिव को पीठासीन अधिकारी बनाया गया है।
वहीं मंत्रालयिक-चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी को मतदान दल में शामिल किया गया है। आगामी 12 नवम्बर को स्टाफ को चुनाव संबंधित प्रशिक्षण में जाना है। बड़े पैमाने पर चुनाव ड्यूटी के चलते विश्वविद्यालय में खलबली मची हुई है।
———पढ़ाई न कोई कामकाज स्टाफ के चुनाव ड्यूटी में जाने से विश्वविद्यालय का कामकाज ठप होना तय है। शिक्षक नहीं होने से यहां कक्षाएं प्रभावित होंगी। वहीं कर्मचारी-अधिकारी नहीं होने से प्रशासनिक कार्य नहीं होंगे। महिला कर्मचारी-शिक्षकों का समस्त कार्य करना संभव नहीं है।
राजभवन-प्रशासन को भेजा पत्र विश्वविद्यालय के प्रोफेसर-रीडर ने ड्यूटी लगाने पर राजभवन, चुनाव आयोग और जिला प्रशासन को पत्र भेजा है। उन्होंने कहा कि चुनाव ड्यूटी से शैक्षिक, प्रशासनिक और परीक्षात्मक कार्य बुरी तरह प्रभावित होंगे। साथ ही यूजीसी के वेतनमान-भत्तों के बावजूद उन्हें पीठासीन अधिकारी जैसे कमतर पद पर लगाया गया है। वहीं जिला प्रशासन ने कॉलेज के एसोसिएट प्रोफेसर को जोनल मजिस्ट्रेट पद पर लगाया है। ऐसे मे चुनाव ड्यूटी तत्काल निरस्त होनी चाहिए। इसी तरह वित्त नियंत्रक और कार्यवाहक कुलसचिव भागीरथ सोनी ने भी राजभवन को पत्र भेजा है।