पक्षकार बनाने की अर्जी दायर
बताते चलें कि सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए थे। अंजुमन कमेटी, दरगाह दीवान और अन्य पक्षों ने खुद को पक्षकार बनाने के लिए अर्जियां दायर कीं। दरगाह कमेटी के वकील अशोक माथुर ने याचिका खारिज करने की मांग रखी। वहीं, याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता के वकील वरुण कुमार सिन्हा ने कहा कि सभी को अनावश्यक रूप से पक्षकार नहीं बनाया जाना चाहिए।
कोर्ट में किताबें पेश की गई
वरुण कुमार सिन्हा ने सुनवाई के दौरान ‘दी पृथ्वीराज विजय’ और ‘दी अजमेर हिस्ट्रीकल डिस्क्रिप्टिव’ किताबों का हवाला देते हुए कोर्ट में दस्तावेज पेश किए। उन्होंने कहा कि दरगाह वर्शिप एक्ट के तहत नहीं आती और ASI सर्वे की मांग की। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। दीवान के वंशज ने रखी ये मांग
दरगाह दीवान के पुत्र नसरुद्दीन अली ने वकील के साथ कोर्ट में उपस्थित होकर खुद को ख्वाजा साहब का वंशज बताते हुए पक्षकार बनाने की अर्जी लगाई। उन्होंने कहा कि इस मामले में उनकी उपस्थिति जरूरी है ताकि सही तथ्यों को सामने रखा जा सके।
कमेटी ने फैसले का दिया हवाला
अंजुमन कमेटी के वकील आशीष कुमार सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हवाला देते हुए याचिका खारिज करने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब तक सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर स्पष्टता नहीं आती, तब तक इस मामले में सुनवाई संभव नहीं है।
24 जनवरी को होगी सुनवाई
वहीं, याचिकाकर्ता विष्णु गुप्ता ने मीडिया से कहा कि उन्हें विश्वास है कि कोर्ट सर्वे का आदेश देगा। उन्होंने कहा कि हमने कोर्ट में सभी जरूरी दस्तावेज और तर्क पेश किए हैं। जल्द ही दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। बता दें, कोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसले की अगली तारीख 24 जनवरी तय की है।