श्वेत क्रांति के जनक डॉ.वर्गीज कूरियन की जयंती 26 नवंबर को राष्ट्रीय दूध दिवस के रूप में मनाया जाता है। गुजरात सरकार ने इस दौरान यह जानकारी साझा की।
गुजरात में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 670 ग्राम
गुजरात में पिछले 22 वर्षों में प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता भी बढ़ी है। वर्ष 2000-01 में गुजरात में प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता केवल 291 ग्राम प्रतिदिन थी। वर्ष 2022-23 में पूरे देश की प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता बढ़कर 459 ग्राम प्रतिदिन तक पहुंच गई है, जबकि गुजरात में प्रति व्यक्ति दूध उत्पादकता 670 ग्राम प्रति दिन पर पहुंच गई है।
50 देशों में भेजा जा रहा गुजरात का दूध
गुजरात में वर्ष 1973 में केवल 6 सदस्य संघ और रु. 49 करोड़ के टर्नओवर से शुरू हुई अमूल फेडरेशन की गुजरात में 18 सदस्य यूनियन हैं। इन 18 सदस्य यूनियनों के माध्यम से, अमूल फेडरेशन हर दिन राज्य भर से 3 करोड़ लीटर से अधिक दूध इकट्ठा करता है। इससे कई उत्पाद बनाए जाते हैं। उन्हें पूरे भारत और 50 देशों में बेचा जा रहा है। अमूल के डेयरी विकास मॉडल ने पशुपालन के सामाजिक-आर्थिक विकास को एक आत्मनिर्भर मॉडल तैयार किया है।
सेक्स्ड सीमैन डोज का घटाकर किया 50 रुपए
पाटन में चल रही सेक्स्ड सीमैन लेबोरेटरी का भी राज्य की दूध उत्पादकता बढ़ाने में अहम योगदान है, क्योंकि 90 प्रतिशत से अधिक पशु इस प्रयोगशाला में उत्पादित सेक्सड सीमैन डोज के उपयोग से अच्छी गुणवत्ता वाले बछड़ों को जन्म दे रहे हैं। राज्य सरकार ने सरकारी संस्थाओं में सेक्स सीमैन डोज से कृत्रिम गर्भाधान की फीस भी 300 रुपए से घटाकर 50 रुपए कर दी है। इन विट्रो फर्टिलाइजेशन और भ्रूण स्थानांतरण तकनीक का उपयोग करके उच्च आनुवंशिक गुणवत्ता और उच्च दूध उत्पादन के साथ मादा मवेशियों से अधिक संख्या में मवेशियों को जन्म देने के लिए सरकार द्वारा मवेशियों में आईवीएफ को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
गाय, बकरी की दूध उत्पादकता में 51% की वृद्धि
गुजरात सरकार ने दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। परिणामस्वरूप, वर्ष 2000-2001 की तुलना में, 2022-23 में देशी गायों की दूध उत्पादकता में 57 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। संकर गायों की दूध उत्पादकता में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2022-23 में भैंसों की उत्पादकता में औसतन 38 प्रतिशत और बकरियों की दूध उत्पादकता में औसतन 51 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।