इस अभियान से कोलवडा के लोगों में खुशी है कि अब उन्हें उनको डम्पिंग साइड की दुर्गंध से निजात मिलेगी। यहां पचास हजार पौधे लगाए जाने हैं। पिछले काफी समय से यहां कूड़ा डाला जाता है, इस कारण यहां कूड़े का बड़ा ढेर लग गया है। इसके चलते इस गांव के लोगों और वहां से गुजरने वालों को दुर्गंध और दूषित माहौल से गुजरना पड़ता है। ऐसे में अब इस पांच हेक्टेयर डम्पिंग साइड को समतल किया जा रहा है, जहां उच्च, मध्यम और छोटे तीन स्तरीय पौधों की बुवाई प्रारंभ की गई है।
डम्पिंग साइट पर बरगद, पीपल, आंवला, आम, इमली, जामुन, महुआ, नीम जैसे बड़े पौधे लगाए गए हैं। साथ ही बांस, सहजन, नींबू, गुलमोहर और कचनार, सीताफल, शहतूत, अनार जैसे पौधों की रोपाई हो रही है। इसके अलावा वनकवच क्षेत्रों में लोगों को चलने के लिए आकर्षक पब्लिक वॉक पथ बनेगा।
एक वर्गमीटर में लगेगा एक पौधा गांधीनगर के वन संरक्षक चन्द्रेश शामाद्रे ने वन कवच प्रोजेक्ट की जानकारी देते हुए कहा कि वन कवच मियावाकी पद्धति का ही रूपान्तरित स्वरूप है। इसमें कम से कम एक वर्गमीटर में एक पौधा लगाया जाता है। वन कवच में बड़े पौधों को चार मीटर की दूरी और मध्यमस्तर के पौधों को दो मीटर की दूरी और छोटे पौधों को एक मीटर के दूरी पर लगाया जाएगा। गांधीनगर में दस हेक्टेयर भूमि में वन कवच आधारित पांच वन तैयार किए जाएंगे।
कोलवडा डम्पिंग साइड के राउंड फोरेस्टर निलेश चौधरी ने कहा कि वन कवच गांधीनगर को और हरित बनाने में मददगार होगा। यहां पुरानी डम्पिंग साइड को हटाकर एवं गांव में नया वन बनाया जाएगा।