डबलिन (आयरलैण्ड) से लेकर डरबन (दक्षिण अफ्रीका), फिजी से लेकर फिनलैण्ड और अमरीका से लेकर आस्ट्रेलिया तक बसने वाले यहां के लोग अपने गांव आकर हर वर्ष 12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद की जयंती व राष्ट्रीय युवा दिवस के अवसर पर धर्मज दिवस मनाते हैं। यहां के लोग व्यापार, रोजगार, आर्थिकोपार्जन, उच्च िशक्षा व वैश्विक स्तर पर करियर बनाने के उद्देश्य से विदेशों में बसे हैं।
वैसे तो आम तौर पर इस दिवस के लिए जून महीने से तैयारियां आरंभ हो जाती है। परदेस में बसने वाले लोग दीपावली के बाद अपने गांव आने की बाट जोहते हैं। लेकिन वैश्विक महामारी के चलते इस बार धर्मज दिवस का स्वरूप बदलना पड़ा।
छ गाम पाटीदार समाज और धरोहर फाउंडेशन धर्मज की ओर से आयोजित होने वाले इस समारोह के लिए इस बार कोई भी एनआरआई विदेश से नहीं पहुंच सके। हालांकि वर्चुअल तरीके से इस आयोजन को दुनिया भर में लोग देख सकेंगे। इस बार गांधीनगर स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टीचर्स एजुकेशन के सेन्टर फॉर एक्टेंशन को भी इसमें साझीदार बनाया गया है।