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Ahmedabad: डिफेंस के फर्जी दस्तावेज के जरिए गांधीनगर से बनाए जा रहे थे कश्मीरी युवाओं के ड्राइविंग लाइसेंस

Crime branch arrests 2 RTO agent in fake DL case -मिलिट्री इंटेलीजेंस पूणे के इनपुट के आधार पर क्राइम ब्रांच ने चांदखेड़ा से दो एजेंट को पकड़ा-अब तक एक हजार से ज्यादा फर्जी ड्राइवलिंग लाइसेंस बनाने का खुलासा

अहमदाबादJun 17, 2023 / 09:56 pm

nagendra singh rathore

Ahmedabad: डिफेंस के फर्जी दस्तावेज के जरिए गांधीनगर से बनाए जा रहे थे कश्मीरी युवाओं के ड्राइविंग लाइसेंस

Ahmedabad: डिफेंस के फर्जी दस्तावेज के जरिए गांधीनगर से बनाए जा रहे थे कश्मीरी युवाओं के ड्राइविंग लाइसेंस

Ahmedabad. भारतीय सेना (डिफेंस) के फर्जी दस्तावेजों का उपयोग कर जम्मू एवं कश्मीर के युवाओं के ड्राइविंग लाइसेंस गुजरात की राजधानी गांधीनगर में स्थित आरटीओ कार्यालय से बनाए जाने का चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। एक दो नहीं बल्कि अब तक करीब एक हजार से भी ज्यादा ऐसे युवाओं के फर्जी दस्तावेजों के जरिए ड्राइविंग लाइसेंस बनाए जा चुके हैं। मिलिट्री इंटेलीजेंस अहमदाबाद व पूणे की ओर क्राइम ब्रांच को मिले इनपुट के आधार पर इसका पर्दाफाश हुआ है।क्राइम ब्रांच ने चांदखेड़ा इलाके में एसएमएस हॉस्पिटल के पास से शुक्रवार को दो आरटीओ एजेंट संतोष सिंह चौहान (47) और धवल रावत (23) को गिरफ्तार किया है। इनके पास से 284 ड्राइविंग लाइसेंस, 97 मोटर ड्राइविंग लाइसेंस बुक, 9 रबर स्टेंप, 37 नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट, 9 सर्विस सर्टिफिकेट, 5 कन्फर्मेशन लेटर, तीन लैपटॉप, तीन कलर फोटोकॉपी दस्तावेज, चार मोबाइलफोन, 27 स्पीड पोस्ट स्टीकर और एक डिजिटल सिग्नेचर पेन बरामद की है।

एक लाइसेंस के लिए लेता 6-8 हजार

आरोपी संतोष चौहान मूलरूप से मध्यप्रदेश के ग्वालियर शहर में अजूरा के पास ग्वालियर कोलोनी तीन का रहने वाला है। 2015 से गांधीनगर में सेक्टर चार सी में रहता है। ये 1991 से 2012 तक भारतीय नौसेना की हॉस्पिटल आईएनएचएस अश्विनी में मेंटेनेंस का काम करता था। सेना के जवानों के ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने और जरूरी दस्तावेज से वाकिफ था। गांधीनगर आने के बाद इसने यहां काम शुरू किया। एक लाइसेंस के लिए ये 6 से 8 हजार रुपए लेता था। आधारकार्ड और फोटो मंगवाता था बाकी के दस्तावेज खुद फर्जी तरीके से तैयार करता था। जम्मू एवं कश्मीर के अशफाक, नजीर, वसीम व अन्य लोगों से मिलकर यह ऐसा काम करता था। धवल ने भी दो साल तक इसके साथ काम किया। फिर जम्मू एवं कश्मीर के अयान उमर के साथ मिलकर खुद लाइसेंस बनवाने लगा। आरटीओ कार्यालय के कर्मचारियों से मिलीभगत करकेये जम्मू एवं कश्मीर के युवाओं को गांधीनगर बुलाए बिना ही लाइसेंस बनवा देता।

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