सरकार द्वारा ये योजना इसलिए भी शुरू की, क्योंकि निराश्रित पशुओं से लोग परेशान हैं। कभी स्कूलों में तो कहीं, इन्हें रोड पर दौड़ा दिया जाता है। इनके संरक्षण के लिए पशु पालन विभाग प्रशासनिक सहायता से अस्थायी गोवंश निर्माण में लगे हुए हैं, लेकिन उसमें भी समय लग रहा है। अब गांव की समस्या गांव में ही समाप्त हो सके, इसके लिए ये योजना तैयार की गई है।
मुख्य पशु चिकित्साधिकारी अशोक कुमार दौनेरिया ने बताया कि पशु पालक, ग्रामीण, मजदूर वर्ग के लोगो यदि गांव में निराश्रित गोवंश का पालन पोषण करते हैं, तो उन्हें सरकारी सहायता दी जाएगी। इससे वे अपने पशुओं के साथ निराश्रित गोवंश की देखरेख भी कर सकेंगे। गोवंश के खाने आदि के लिए उन्हें नौ सौ रुपये महीने दिए जाएंगे। इसके लिए लोग अपने नजदीकी पशु चिकित्सा केंद्र पर जाकर आवेदन कर सकते हैं। जिले में पशु पालन विभाग के 35 केन्द्र हैं। यहां उन्हें प्रार्थना पत्र और अपने आधार कार्ड की प्रति देनी होगी।
ऐसा नहीं इस योजना का लाभ उठाने के दौरान कोई धांधली की जा सके। प्रशासनिक टीम नजर रखेगी। इस योजना की पारदर्शिता के लिए ब्लॉक, तहसील, प्रधान आदि इसको सत्यापित करेंगे। समय समय पर पशु पालन विभाग और प्रशासनिक अधिकारी इसका निरीक्षण करेंगे, ताकि गोवंश के संबर्धन व संरक्षण में कोई लापरवाही न की जा सके।