मंत्री डाॅ. महेश शर्मा को भेजे गये पत्र में यह उल्लेख किया कि एएसआई द्वारा 1.9.2015 को ताज रात्रिदर्शन की शर्तों में परिवर्तन हेतु एक प्रार्थनापत्र लगाया गया था, जिसमें मुख्य रूप से यह चाहा गया था कि
(1) रात्रिदर्शन के लिए दिन के दिन टिकिट उपलब्ध हों।
(2) रात्रिदर्शन हेतु ई-टिकिटिंग की सुविधा उपलब्ध हो।
(3) रात्रिदर्शन के लिए 50 व्यक्तियों के समूह के स्थान पर 75 व्यक्तियों के समूह की अनुमति हो, जो स्मारक में 30 मिनट के स्थान पर 45 मिनट तक रुक सकें।
(4) रात्रिदर्शन हेतु पर्यटकों का प्रवेश पूर्वी गेट के स्थान पर पश्चिमी गेट से हो।
ये भी दी गई जानकारी
पत्र में यह भी उल्लेख किया कि यह प्रार्थनापत्र 22.8.2016 जब सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट के सामने आया तब याचिकाकर्ता एमसी मेहता द्वारा जवाब दाखिल करने के लिए समय की मांग की, लेकिन उसके उपरान्त अभी तक सुनवाई हेतु प्रार्थनापत्र लिस्ट नहीं हुआ है, जिसके कारण न केवल पर्यटकों ही परेशानी है, अपितु पूर्वी गेट के पास स्थित रिहायशी नगला पैमा आदि की आबादियों के निवासियों को भी बड़ी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। यदि पश्चिमी द्वार से रात्रिदर्शन की अनुमति हो जाये तो इन आबादियों के निवासी भी राहत की सांस ले सकेंगे।
एडीएफ सचिव केसी जैन द्वारा मंत्री डाॅ. शर्मा को यह भी अवगत कराया गया कि एमसी मेहता की रिट याचिका 8.2.2018 को सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति लुकुर की पीठ में लगी हुई है और यदि एएसआई उसमें उक्त प्रार्थनापत्र की सुनवाई हेतु अनुरोध करे तो अगली तारीख को प्रार्थनापत्र पर सुनवाई हो सकती है। रात्रिदर्शन की शर्तों में बदलाव में सीआईएसएफ को भी कोई आपत्ति नहीं है और बदलाव का अनुरोध पर्यटन संस्थाओं और उप्र सरकार द्वारा भी किया गया है। इसी आशय का पत्र एएसआई की महानिदेशक ऊषा शर्मा को भी एडीएफ की ओर से भेजा गया है।
एडीएफ की ओर से यह आशा व्यक्त की गई कि इस संबंध में अब आगे कार्रवाई निकट भविष्य में हो सकेगी, जिसके लिए मंत्री डाॅ. शर्मा ने भी एडीएफ सचिव केसी जैन को आश्वस्त किया है। एडीएफ अध्यक्ष पूरन डावर द्वारा भी रात्रिदर्शन की आॅनलाइन टिकट की सुविधा जल्दी से जल्दी कराये जाने की मांग का समर्थन किया।