देखें वीडियो 2020 के अंत तक किसान पशुधन से होगा समृद्ध: गिरिराज सिंह पूछा था ये सवाल कुलपति से पूछा गया था कि डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय, आगरा (आगरा विश्वविद्यालय) में कोई भी काम समय पर नहीं होता है, इसका करण क्या है? उन्होंने कहा कि संस्था के मुखिया पर सब निर्भर करता है। कुमाऊं विश्वविद्यालय में एक कॉलेज में मार्कशीट न आने की सूचना अखबार में छपवा दी। हमने पता किया तो हकीकत सामने आई। हमने अखबार में खंडन छपवाया। राजभवन में हुई बैठक में यह बात रखी। प्रमुख सचिव को अखबार की कतरन दिखाई। इस तरह का स्टैंड लेना पड़ता है। समस्या पर मंथन करें कि क्या समाधान हो सकता है।
यह भी पढ़ें CAA के समर्थन में भाजपा का पैदल मार्च, मुस्लिमों को शामिल कर दिया संदेश कुलसचिव, वित्त अधिकारी, नियंत्रक जिम्मेदार उन्होंने बताया कि मार्कशीट और डिग्री का काम हमारे कर्मचारी करते हैं। आगरा में यह काम क्यों नहीं हो पा रहा है, सवाल पर कहा कि मुझे नहीं पता। मेरे यहां रजिस्ट्रार और वित्त अधिकारी पीसीएस हैं। मैं उनका ट्रांसफर रुकवा कर लाया। मैंने उनसे साफ कहा कि अगर बच्चों के सामने समस्या आती है तो आप जिम्मेदार होंगे। परीक्षा नियंत्रक से भी यही बात कही है। तीनों को दिन में तीन बार सामने खड़ा कर देता हूं।
यह भी पढ़ें भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता ने अखिलेश यादव को बताया दंगाइयों का हमदर्द, देखें वीडियो ऊपर से बैठा व्यक्ति दागदार न हो प्रोफेसर राना ने कहा कि नीचे के सिस्टम में जो भ्रष्टाचार है, जो बाबू स्तर से शुरू होकर ऊपर तक आता है। मैं कह सकता हूं कि ऊपर से चलता है और नीचे तक आता है। जब टॉप पर बैठे व्यक्ति में दिखाई देगा कि उस पर एक रुपये का भी दाग नहीं है तो किसी की हिम्मत नहीं है कि काम करने से मना कर दे। मैंने साफ कह दिया एक अधिकारी से कि सेक्शन 36 में कुलपति को अधिकार है कि जिस दिन चाहूंगा, कार्यमुक्त कर दूंगा, शासन भी रोक नहीं पाएगा। बच्चों को कहीं परेशानी होती है तो उसका दर्द आपको होना चाहिए। ये बात नीचे तक गई और मीडिया ने सहयोग किया। पहले छात्रों के झुंड रहते थे। कुलपति छात्रों से मिलते नहीं थे। अब ऐसा नहीं है।
सिस्टम ऑनलाइन करें उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की तमाम समस्याओं का समाधान ऑनलाइन है। मार्कशीट और डिग्री बच्चों के घर तक पहुंचे। हम इसी विश्वविद्यालय में पढ़े हैं। कभी नहीं गए मार्कशीट लेने। घर पर आती थी। डिग्री और मार्कशीट बच्चे के घर नहीं पहुंचती है तो परीक्षातंत्र कहीं है ही नहीं। विश्वविद्यालय की यह प्राथमिक जिम्मेदारी है कि डिग्री और मार्कशीट बच्चे के घर तक पहुंचे।