मामला अवैध खनन को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि अवैध खनन रोका जाए। इसके बाद भी ऐलानिया अवैध खनन किया जा रहा है। संरक्षित वन क्षेत्र में भी माफिया खनन करने में लगे हुए हैं। वन विभाग की टीम रोकने जाती है तो उस पर फायरिंग कर दी जाती है। पुलिस में रिपोर्ट दर्ज होती है और फिर से अवैध खनन शुरू हो जाता है। बाह, फतेहाबाद, किरावली और खेरागढ़ तहसील तो अवैध खनन के लिए कुख्यात हैं। यमुना और चम्बल से अवैध रूप से बालू का खनन किया जाता है। किरावली और खेरागढ़ तहसील में पहाड़ों पर खनन होता है। पुलिस की जिम्मेदारी है कि अवैध खनन रोके, लेकिन धरातल पर स्थिति कुछ और ही है।
इसे देखते हुए जिलाधिकारी एनजी रविकुमार ने थानध्यक्ष बासौनी, मनससुखपुरा और पिनाहट को नोटिस भेजा है। इन्हें अवैध खनन रोकने के लिए सात दिन का समय दिया है। इस अवधि में अगर अवैध खनन नहीं रुका तो शासन से कार्रवाई की सिफारिश कर दी जाएगी। जिलाधिकारी का कहना है कि अवैध खनन पूरी तरह रोका जाएगा। सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन तो हर किसी को करना होगा।
खनन माफिया पूरी तरह बेखौफ हैं। वे पुलिस पर भी हमला कर देते हैं। उप जिलाधिकारी कई बार खनन रोकने गए हैं तो उन पर हमला हुआ है। खनन रोकने वालों पर ट्रैक्टर चढ़ाकर मारने का प्रयास हो चुका है। इसके चलते अधिकांश अधिकारी और कर्मचारी खनन माफियाओं से टकराने से बचते हैं। कहा तो यह भी जाता है कि खनन माफियाओं पर नेताओं का हाथ होता है। अधिकांश खनन माफिया अब भारतीय जनता पार्टी के नेताओं के संपर्क में हैं। जिस पार्टी का सत्ता होती है, उसी के साथ हो जाते हैं। इसके चलते पुलिस भी कार्रवाई से बचती है।