उन्होंने घर पर बने चूरमा और लड्डू खाए थे। मालपुआ उन्हें बहुत पसंद थे। मालपुआ इतना पसंद था कि पालपुआकी दावत खाने के लिए कई कोस पैदल चले जाते थे। खाने के बाद आम बहुत पसंद थे। पूर्व पीएम अटल के भतीजे राकेश वाजपेयी ने बताया कि परिवार के बुजुर्ग से उनकी यादें जुड़ी हैं। आम के अलावा झरबेरी के बेर बहुत पसंद थे।
सुबह बीहड़ के टीलों पर झरबेरियों को ढूंढ़कर बेर तोड़ते थे। खूब कांटे लगे, पर दोपहरी तक बेर खाने में मस्त रहते थे। सीजन में आम के लिए पेड़ पर चढ़ जाते थे। ढेला से भी आम तोड़ते थे। खाना खाने के बाद अम जरूर खाते थे।
पुत्तू लाल बचपन में अटल जी के साथ पढ़े। उन्होंने बताया कि स्कूल में उनका भाषण बहुत बेहतरीन होता था। कविता पाठ करके कई बार पुरस्कार जीते थे। पारिवारिक भतीजे अश्वनी वाजपेयी ने बताया कि बचपन की छुट्टी के बाद यमुना किनारे गुटरियों से खूब खेलते थे। कुएं में गुटरियां फेंकते थे। छप्प की आवाज आती थी खूब ताली बजाकर हंसते थे।