दरअसल, हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक ने अप्रैल में ही EUL के लिए एक्स्प्रेशन ऑफ इंटरेस्ट यानी EOI दाखिल कर दिया था। WHO की प्रमुख वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन के अनुसार, एजेंसी के सलाहकार समूह 26 अक्टूबर को कोवैक्सीन के लिए EUL को लेकर मिलने जा रहे हैं।
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हैदराबाद स्थित कंपनी महीनों से संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी की हामी का इंतजार कर रही है। हालांकि, इससे पहले EUL को लेकर हुई बैठकों में WHO ने कोवैक्सीन को लेकर और डेटा की मांग की थी।
पिछले हफ्ते एजेंसी के शीर्ष अधिकारी ने कहा था कि इस्तेमाल के लिए वैक्सीन का आकलन करना और उसकी सिफारिश करने में कभी-खभी समय लगता है। उन्होंने कहा था कि यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि दुनिया को सही सलाह दी जाए, भले ही इस प्रक्रिया में एक या दो हफ्ते ज्यादा लग जाएं। WHO का भी कहना है कि को EUL में शामिल करने की सिफारिश के लिए जल्दबाजी नहीं कर सकते। एजेंसी का कहना है कि वे कोवैक्सीन के निर्माता से एक और जानकारी देने की उम्मीद कर रहे हैं।
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WHO की तरफ से कोवैक्सीन को अनुमति या EUL में शामिल करने पर जानकारों की नजरें टिकी हुई हैं। एक्सपर्ट्स के अलावा एजेंसी का यह फैसला आम लोगों से भी जुड़ा हुआ है, क्योंकि कई देशों में कोवैक्सीन हासिल करने वाले यात्रियों को अनुमति नहीं दी जा रही है। भारत में 16 जनवरी से शुरू हुए टीकाकरण कार्यक्रम में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया में तैयार की गई कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन का ही इस्तेमाल किया जा रहा था. बाद में इस सूची में रूसी वैक्सीन स्पूतनिक V का नाम भी शामिल हो गया था।