अमेरिका में कितने वोटर
अमेरिका में वैसे तो कुल 270 मिलियन वोटर हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 160 मिलियन वोटर ही वोटिंग के लिए रजिस्टर्ड हैं। वहीं 70 मिलियन से ज्यादा लोग डाक मतपत्रों या व्यक्तिगत मतदान केंद्रों के जरिए वोटिंग कर चुके हैं। अब बाकी के ये 160 मिलियन वोटर्स मतदान केंद्रों पर जाकर वोटिंग कर रहे हैं। इनमें से 98 प्रतिशत वोटिंग बैलट पेपर से होती है। इसमें लोग राष्ट्रपति उम्मीदवार को नहीं बल्कि अपने एरिया के इलेक्टर का चुनाव करते हैं।कई चरणों में होता है चुनाव
अमेरिका का राष्ट्रपति चुनाव कुल 5 चरणों में होता है। ये हैं प्राइमरी कॉकस, नेशनल कंवेशन, आम चुनाव, इलेक्टोरल कॉलेज और पांचवा शपथ ग्रहण। अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव के लिए प्राइमरी और कॉकस दो तरीके हैं जिनसे लोग राज्यों और राजनीतिक दलों को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चुनने में मदद करते हैं। अमेरिका के ज्यादातर राज्य राष्ट्रपति चुनाव से 6-9 महीने पहले प्राइमरी चुनाव आयोजित कराते हैं। प्राइमरी के मतदाता सीक्रेट वोटिंग करके गुमनाम रूप से अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चुनते हैं। जिस राज्य में प्राइमरी आयोजित की जाती है वह विजेताओं को प्रतिनिधियों को पुरस्कृत करने के लिए वोट के परिणामों को ध्यान में रखता है। वहीं दूसरी तरफ कई राज्य राष्ट्रपति चुनाव से पहले के महीनों में कॉकस आयोजित करते हैं। कॉकस राजनीतिक दलों की संचालित बैठकें होती हैं जो काउंटी, जिले या प्रीसिंक स्तर पर आयोजित की जाती हैं। कुछ कॉकस गुप्त मतदान कराकर उम्मीदवारों का चयन करते हैं। और आखिर में हर उम्मीदवार को दिए जाने वाले प्रतिनिधियों की संख्या, उन्हें मिले कॉकस वोटों की संख्या पर आधारित होती है।
इलेक्टोरल कॉलेज और लोकप्रिय वोट
इलेक्टोरल कॉलेज ये तय करता है कि अमेरिका का राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति कौन चुना जाएगा और ये एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें निर्वाचकों का चयन राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के लिए वोट डालने वाले निर्वाचकों की बैठक और कांग्रेस के निर्वाचकों के वोटों की गिनती शामिल है। यानी राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का चुनाव सीधे नागरिकों के वोट से नहीं किया जाता। इसके बजाय उन्हें इलेक्टोरल कॉलेज प्रक्रिया के जरिए चुना जाता है। हर राज्य के राजनीतिक दल संभावित निर्वाचकों की अपनी लिस्ट बनाते हैं। जिसमें कुल 538 निर्वाचक वोट हैं। राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए एक उम्मीदवार को कम से कम 270 निर्वाचकों के वोट की जरूरत होती है, यानी सभी निर्वाचकों के आधे से ज्यादा।
दूसरी तरफ लोकप्रिय वोट सिर्फ उम्मीदवार को मिले वोट होते हैं। यहां पर ये गौर करने वाली बात ये है कि जब किसी उम्मीदवार को ज्यादा लोकप्रिय वोट मिले लेकिन निर्वाचक मंडल में हार गया। तो उसे इस चुनाव का विजेता घोषित नहीं किया जा सकता।