इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम का इस्तेमाल
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम का इस्तेमाल होता है, जो प्रत्येक राज्य को एक निश्चित संख्या में इलेक्टोरल वोट देता हैगे। इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की कुल संख्या 538 है। देश के हर एक राज्य को अमेरिकी सीनेट में दो सीटें मिलती हैं, इसलिए प्रत्येक राज्य को दो इलेक्टोरल वोट मिलते हैं। वहीं प्रत्येक राज्य को अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में उसकी जनसंख्या के अनुसार प्रतिनिधि मिलते हैं। इसका मतलब यह है कि जनसंख्या अधिक होने पर राज्य को अधिक प्रतिनिधि और इलेक्टोरल वोट मिलते हैंगे।चुनाव का फॉर्मूला इस प्रकार है
प्रत्येक राज्य के इलेक्टोरल वोट = 2 (सीनेट प्रतिनिधित्व) + राज्य के प्रतिनिधि सभा में प्रतिनिधियों की संख्या। इस तरह 50 राज्यों और वॉशिंगटन डी.सी. (जिसे 3 इलेक्टोरल वोट मिलते हैं) उन्हें मिला कर कुल 538 इलेक्टोरल वोट होते हैं। देश में राष्ट्रपति बनने के लिए किसी उम्मीदवार को 538 इलेक्टोरल वोटों में से कम से कम 270 वोटों की आवश्यकता होती है, जो पूर्ण बहुमत मानी जाती है। यह सिस्टम सुनिश्चित करता है कि राष्ट्रपति पद का चुनाव राज्यों के एक संतुलित प्रतिनिधित्व के आधार पर हो न कि केवल जनसंख्या पर हो। इस तरह, छोटे राज्यों को भी उचित प्रतिनिधित्व मिलता है।चुनाव की तिथि और प्रमुख उम्मीदवार
अमेरिका में 2024 का राष्ट्रपति चुनाव 5 नवंबर को है। इस बार चुनावी मुकाबला डेमोक्रेट्स पार्टी की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस (Donald Trump) और रिपब्लिकन पार्टी के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ( Donald Trump) के बीच है। दोनों नेता चुनाव में अपनी जीत का दावा करते हुए व्यापक प्रचार कर चुके हैं। चुनाव के नतीजे से यह तय होगा कि अगले 4 साल तक व्हाइट हाउस में कौन होगा।
आखिर इलेक्टोरल कॉलेज सिस्टम क्या है ?
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज का सिस्टम लागू होता है। इसका मतलब है कि राष्ट्रपति का चुनाव सीधे तौर पर जनता द्वारा नहीं, बल्कि राज्य के प्रतिनिधियों (इलेक्टोरल वोट) द्वारा किया जाता है। हर राज्य को एक निश्चित संख्या में इलेक्टोरल वोट मिलते हैं। इन इलेक्टोरल वोटों की कुल संख्या 538 है। राज्यों की संख्या 50 है, और इसके साथ वॉशिंगटन डी.सी. को भी इलेक्टोरल वोट मिलते हैं ( जो 3 हैं )।इलेक्टोरल वोटों का निर्धारण :
हर राज्य को 2 इलेक्टोरल वोट मिलते हैं, जो उस राज्य के 2 सीनेट प्रतिनिधियों के लिए होते हैं। फिर हर राज्य को अपने राज्य सभा (House of Representatives) में प्रतिनिधियों की संख्या के अनुसार और इलेक्टोरल वोट मिलते हैं। यह संख्या उस राज्य की जनसंख्या पर निर्भर करती है। अगर किसी राज्य की जनसंख्या अधिक है, तो उसे अधिक इलेक्टोरल वोट मिलते हैं। यदि किसी राज्य की जनसंख्या कम है, तो उसे कम इलेक्टोरल वोट मिलते हैं, लेकिन हर राज्य को कम से कम 3 इलेक्टोरल वोट मिलते हैं ( 2 सीनेट और 1 प्रतिनिधि के लिए)।अमेरिका में चुनाव के लिए फॉर्मूला
इसे ऐसे समझें कि अमेरिका के 50 राज्यों और वॉशिंगटन डी.सी. ( जिसे 3 इलेक्टोरल वोट मिलते हैं ) को जोड़ कर कुल 538 इलेक्टोरल वोट होते हैं। किसी उम्मीदवार को राष्ट्रपति बनने के लिए कम से कम 270 इलेक्टोरल वोट प्राप्त करने होते हैं। यह पूर्ण बहुमत होता है। इस प्रणाली का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राष्ट्रपति का चुनाव केवल जनसंख्या के आधार पर न हो, बल्कि सभी राज्यों का संतुलित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित हो। इस तरह छोटे राज्यों को भी उचित प्रतिनिधित्व मिलता है, जो जनसंख्या के हिसाब से बड़ा राज्य नहीं है।चुनाव की प्रक्रिया का सारांश
राज्यों के इलेक्टोरल वोट: हर राज्य को उसकी जनसंख्या के आधार पर इलेक्टोरल वोट मिलते हैं।निर्वाचन प्रक्रिया: 5 नवंबर को लोग अपने राज्य के चुनाव में मतदान करते हैं।