भ्रामक जानकारी के लिए हो सकता है एआई का प्रयोग
मुख्य शोधकर्ता और फार्मासिस्ट ब्रैडली मेन्ज के अनुसार एआई के बारे में एक बड़ी चिंता यह है कि भ्रामक, गलत और झूठी जानकारी भी इतनी सफाई से फैलाती है कि सामने वाला इसे सच मान लेता है। उन्होंने कहा कि हम देखना चाहते थे कि ऐसे प्लेटफॉर्म की मदद से गलत इरादे वाले किसी व्यक्ति के लिए इन सुरक्षा उपायों को तोडऩा कितना आसान होगा। अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि एआइ का इस्तेमाल भ्रामक स्वास्थ्य जानकारी को बड़े पैमाने पर फैलाने के लिए किया जा सकता है।
जवाबदेही तय करनी चाहिए
मेन्ज के मुताबिक ऐसे प्लेटफॉर्म के डेवलपर्स को हेल्थ प्रोफेशनल्स की राय के बाद इस तरह की रिपोर्ट को सार्वजनिक चाहिए। वहीं, डीकिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता कुपरहोल्ज का कहना है कि कोई भी इनबिल्ट सेफगार्ड तकनीक के दुरुपयोग को रोकने में सक्षम नहीं है। हमें ऐसे उपाय खोजने होंगे, जिसमें इस तरह की सामग्री प्रकाशित करने वाले व्यक्ति या प्लेटफॉर्म की जवाबदेही तय हो सके।
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65 मिनट में 102 पोस्ट बना दिए
-शोधकर्ताओं का लक्ष्य युवाओं, गर्भवती महिलाओं और क्रॉनिक हेल्थ कंडीशन वाले रोगियों को टारगेट करते हुए 65 मिनट में 102 पोस्ट तैयार करना था।
– पोस्ट में नकली रोगी और चिकित्सकों के नकली टेस्टीमोनियल्स और वैज्ञानिक दिखने वाले संदर्भ शामिल थे।
– प्लेटफॉर्म ने दो मिनट से भी कम समय में लेखों के साथ 20 नकली, लेकिन असली लगने वाली इमेज भी तैयार कीं, जिनमें छोटे बच्चों को नुकसान पहुंचाने वाले टीकों की तस्वीरें भी शामिल थीं।
– शोधकर्ताओं ने 40 से अधिक भाषाओं में टीकों को बच्चों की मृत्यु से जोडकऱ एक फर्जी वीडियो भी तैयार किया।