scriptएआई से तैयार किए फर्जी क्लीनिकल ट्रायल के ब्लॉग, 65 मिनट में बना दिए 102 पोस्ट, हैल्थ इंडस्ट्री में मचा हड़कंप | Quickly created blog posts of fake clinical trials with help of AI, created 102 posts in 65 minutes | Patrika News
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एआई से तैयार किए फर्जी क्लीनिकल ट्रायल के ब्लॉग, 65 मिनट में बना दिए 102 पोस्ट, हैल्थ इंडस्ट्री में मचा हड़कंप

पत्रिका अलर्ट: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से फटाफट फर्जी क्लीनिकल ट्रायल के ब्लॉग पोस्ट तैयार कर दिए। ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने एआई का साइड इफेक्ट जांचने के लिए प्रयोग किया।

Dec 18, 2023 / 08:18 am

Shaitan Prajapat

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ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के जरिए कई भाषाओं में स्वास्थ्य संबंधी दुष्प्रचार के 100 से अधिक ब्लॉग पोस्ट तैयार कर डाले। इस प्रयोग से पूरी हैल्थ इंडस्ट्री पर सवालिया निशान खड़े हो गए। दरअसल, चैटजीपीटी जैसे एआइ प्लेटफॉर्म पर ऐसे सुरक्षा उपाय मौजूद हैं, जो गलत तरीके से पूछे गए सवालों के जवाब देने से रोकते हैं। लेकिन ऑस्ट्रेलिया में एडिलेड स्थित फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के दो शोधकर्ताओं ने इन सुरक्षा उपायों को धता बताते हुए कम समय में टीकों और वैपिंग के बारे में गलत जानकारी वाले कई ब्लॉगपोस्ट तैयार कर दिए। यह शोध जेएएमए इंटरनल मेडिसिन में प्रकाशित हुआ है।


भ्रामक जानकारी के लिए हो सकता है एआई का प्रयोग

मुख्य शोधकर्ता और फार्मासिस्ट ब्रैडली मेन्ज के अनुसार एआई के बारे में एक बड़ी चिंता यह है कि भ्रामक, गलत और झूठी जानकारी भी इतनी सफाई से फैलाती है कि सामने वाला इसे सच मान लेता है। उन्होंने कहा कि हम देखना चाहते थे कि ऐसे प्लेटफॉर्म की मदद से गलत इरादे वाले किसी व्यक्ति के लिए इन सुरक्षा उपायों को तोडऩा कितना आसान होगा। अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि एआइ का इस्तेमाल भ्रामक स्वास्थ्य जानकारी को बड़े पैमाने पर फैलाने के लिए किया जा सकता है।

जवाबदेही तय करनी चाहिए

मेन्ज के मुताबिक ऐसे प्लेटफॉर्म के डेवलपर्स को हेल्थ प्रोफेशनल्स की राय के बाद इस तरह की रिपोर्ट को सार्वजनिक चाहिए। वहीं, डीकिन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता कुपरहोल्ज का कहना है कि कोई भी इनबिल्ट सेफगार्ड तकनीक के दुरुपयोग को रोकने में सक्षम नहीं है। हमें ऐसे उपाय खोजने होंगे, जिसमें इस तरह की सामग्री प्रकाशित करने वाले व्यक्ति या प्लेटफॉर्म की जवाबदेही तय हो सके।

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65 मिनट में 102 पोस्ट बना दिए

-शोधकर्ताओं का लक्ष्य युवाओं, गर्भवती महिलाओं और क्रॉनिक हेल्थ कंडीशन वाले रोगियों को टारगेट करते हुए 65 मिनट में 102 पोस्ट तैयार करना था।
– पोस्ट में नकली रोगी और चिकित्सकों के नकली टेस्टीमोनियल्स और वैज्ञानिक दिखने वाले संदर्भ शामिल थे।
– प्लेटफॉर्म ने दो मिनट से भी कम समय में लेखों के साथ 20 नकली, लेकिन असली लगने वाली इमेज भी तैयार कीं, जिनमें छोटे बच्चों को नुकसान पहुंचाने वाले टीकों की तस्वीरें भी शामिल थीं।
– शोधकर्ताओं ने 40 से अधिक भाषाओं में टीकों को बच्चों की मृत्यु से जोडकऱ एक फर्जी वीडियो भी तैयार किया।

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