बस एक अड़चन….
ज़ेलेन्स्की का कहना है कि पीएम मोदी इस युद्ध को रुकवा सकते हैं और इसके लिए वह पीएम मोदी के दूसरे शांति सम्मेलन के आयोजन का भी समर्थन करेंगे। हालांकि ज़ेलेन्स्की का यह भी मानना है कि इसमें एक ही अड़चन आ रही है और वो है इस मुद्दे पर भारत का रुख। भारत लंबे समय से रूस का अच्छा दोस्त रहा है। युद्ध जब से शुरू हुआ है, भारत का इस मुद्दे पर तटस्थ रुख कायम है। ज़ेलेन्स्की का मानना है कि भारत इस मुद्दे पर तटस्थ नहीं रह सकता। ज़ेलेन्स्की का मानना है कि भारत की तटस्थता से रूस को अप्रत्यक्ष रूप से मदद मिलती है। ज़ेलेन्स्की ने यह भी कहा कि पीएम मोदी एक बड़े और अहम देश के प्रधानमंत्री हैं और उनके सिर्फ इतना कहने से कि “भारत चाहता है कि यह युद्ध खत्म हो जाए” से काम नहीं चलेगा। ज़ेलेन्स्की के अनुसार भारत को रूस से सस्ता तेल खरीदना बंद करना होगा, रूस से डिफेंस डील को रोकना होगा और उसकी अर्थव्यवस्था को प्रभावित करना होगा, जिससे यूक्रेन के खिलाफ रूस को अपनी जंग रोकनी पड़े।