बता दें, शरीफ का यह पत्र पीएम मोदी द्वारा भेजे गए बधाई संदेश के जवाब में आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि भारत पाकिस्तान के साथ रचनात्मक संबंधों का समर्थन करता है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भारतीय प्रधानमंत्री के पत्र का जवाब दिया और कश्मीर सहित दोनों देशों के बीच मुद्दों को हल करने की मांग की और कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ शांतिपूर्ण और मैत्रीपूर्ण संबंध चाहता है।
तो वहीं इस पत्र के लहजे को लेकर पाकिस्तान के पूर्व राजनयिक और भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रह चुके अब्दुल बासित ने शहबाज शरीफ पर निशाना साधते हुए कहा है कि ये बहुत कमजोर प्रतिक्रिया है। अब्दुल बासित ने अपने एक ट्वीट में खिखा, “यह एक कमजोर प्रतिक्रिया है। कश्मीर कोई मुद्दा नहीं बल्कि विवाद है। पीएम मोदी ने अपने बधाई संदेश में आतंकवाद का जिक्र किया ता लेकिन कश्मीर में भारत के राज्य पोषित आतंकावाद का क्या? और कमांडर कुलभीषण जाधव का क्या? पाकिस्तान को इस तरह क्षमा-याजना की जरूरत नहीं।”
अब्दुल बासित के इस ट्वीट पर एक यूजर ने सवाल किया, “तो फिर क्या पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को अपनी पहली ही बातचीत में भारत के साथ युद्ध की घोषणा कर देनी चाहिए थी?” यूजर को जवाब देते हुए अब्दुल बासित ने कहा, “मेरे कहने का मतलब बस ये था कि भारत को और बेहतर ढंग से जवाब दिया जा सकता था।”
तो वहीं जिया उर रहमान नाम के एक ट्विटर यूजर ने पीएम मोदी के बधाई संदेश को ट्वीट करते हुए लिखा, “असल बात तो यही है। भारतीय प्रधानमंत्री का बधाई संदेश स्पष्ट रूप से पाकिस्तान के प्रति उनकी सरकार की मंशा को दर्शाता है, लेकिन हमारी सरकार हमेशा क्षमाप्रार्थी रही है।”
एक यूजर ने कहा, “पाकिस्तान का पहला औपचारिक समर्पण – एक बहुत ही कमजोर प्रतिक्रिया। ये प्रतिक्रिया न केवल कश्मीर के मुद्दे को कमजोर करती है बल्कि भारत के 5 अगस्त के एकतरफा कदम के बाद पाक के अथक प्रयासों पर भी पानी फेर देती है। इसमें कोई आश्चर्चय नहीं कि इस तरह की प्रतिक्रिया शरिफ परिवार की तरफ से आ रही है। ये बहुत दुख की बात है।”
दूसरे यूजर ने लिखा, “हां, पाकिस्तान को क्षमाप्रार्थी नहीं होना चाहिए, मैं इस बात से सहमत हूं, लेकिन दुर्भाग्य से, पाकिस्तान का वर्तमान पीएम पाकिस्तान का प्रतिनिधि नहीं है बल्कि वो अपने भ्रष्टाचार के आरोपों को खत्म करने के लिए अमेरिकी एजेंडे के साथ है।”
आपको बता दें, अगस्त 2019 में भारत द्वारा जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने की घोषणा के बाद और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध और बिगड़ गए हैं।