1970 का वो सेक्स स्कैंडल…आज भी कांपता है पाकिस्तान, ब्यूरोक्रेट और मशहूर शायर की हुई थी हत्या, भारत से था खास नाता
Pakistan 1970 Sex Scandal: 1970 का पाकिस्तान का ये स्कैंडल दुनिया के सबसे बड़े सेक्स स्कैंडल में गिना जाता है। इस स्कैंडल में पाकिस्तान के सीनियर ब्यूरोक्रेट और कला के जाने-माने नाम मुस्तफ़ा हस्नैन ज़ैदी की रहस्यमयी मौत हो गई थी।
Pakistan 1970 Sex Scandal: ये बात 12 अक्टूबर 1970 की थी। कराची में अचानक खबर फैल गई कि मुल्क के मशहूर शायर और सीनियर ब्यूरोक्रेट मुस्तफ़ा हस्नैन ज़ैदी (Mustafa Zaidi) अपने कमरे में मृत पाए गए हैं और उनके बगल वाले रूम में एक 26 साल की खूबसूरत लड़की शहनाज गुल (Shehnaz Gul) जो खुद को समाजसेवी बताती थी वो भी बेहोश पड़ी हुई थी। ये खबर जितनी तेजी से कराची (Karachi) में फैली उतनी ही तेजी से पूरे पाकिस्तान की सियासत, शासन-प्रशासन में हंगामा मचा गई। कला क्षेत्र का जैसे सूरज ही डूब गया। मुस्तफा जैदी पाकिस्तान के मशहूर शायर थे। वे शायर जोश मलीहाबादी (Josh Malihabadi) के शिष्य और फैज अहमद फैज के दोस्त थे।
इस सेक्स स्कैंडल पर हाल ही में एक किताब प्रकाशित हुई थी। जिसका नाम है ‘सोसाइटी गर्ल, अ टेल ऑफ़ सेक्स, लाइज़ एंड स्कैंडल’। इसका किताब की राइटर तूबा मसूद खान हैं। पाकिस्तानी अखबार डॉन की खबर के अनुसार इस किताब के मुताबिक पूरे पाकिस्तान को हिला देने वाले इस स्कैंडल के मुख्य किरदार 40 साल के शायर और सीनियर ब्यूरोक्रेट मुस्तफ़ा हस्नैन ज़ैदी और समाजसेविका शहनाज़ गुल थीं। जैदी और शहनाज़ के बीच प्रेम संबंध थे। ये बात खुद इन दोनों ने भले ही किसी को बताई ना हो लेकिन पूरे पाकिस्तान की मीडिया में इन दोनों के अफेयर के किस्से चल रहे थे।
12 अक्टूबर 1970 का वो दिन…
12 अक्टूबर 1970 को जिस दिन ये घटना सामने आई उसकी एक रात पहले शहनाज़ के पति सलीम ने मुस्तफा से संपर्क करने की कोशिश की। उन्हें कई फोन लगाए लेकिन फोन लगातार इंगेज जा रहा था। इसके बाद सलीम ने जैदी के दोस्तों के जरिए उनसे संपर्क करने की कोशिश की लेकिन जैदी ने उसका भी कोई जवाब नहीं दिया। दरअसल सलीम अपनी पत्नी शहनाज़ का पता लगा रहे थे क्योंकि वो घर नहीं आई थी। काफी रात होने के बाद भी जब वो घर नहीं लौटीं तो ये सोचकर की वो जैदी के साथ होंगी, यही पता लगाने के लिए जैदी के संपर्क कर रहे थे लेकिन कोई जवाब ना मिलने के कारण उन्होंने कराची की पुलिस को अपनी पत्नी के गुम हो जाने की सूचना दी।
कमरा खुला तो सन्न रह गई पुलिस
पुलिस में सूचना देने के बाद कराची पुलिस मुस्तफा जैदी के अपार्टमेंट में पहुंचे। यहां पर उनके रूम का दरवाजा खुलवाने की कोशिश की, जैदी को काफी आवाजें लगाई गईं लेकिन अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। इसके बाद पुलिस ने दरवाजा तोड़ने की कोशिश की। जैसे ही पुलिस ने दरवाज तोड़ा तो भीतर का नजारा देखकर स्तब्ध रह गई। दरअसल जैदी के कमरे के बिस्तर पर उनका शव पड़ा हुआ था। उनकी नाक और मुंह से खून निकल रहा था लेकिन बॉडी पर चोट के कोई निशान नहीं थे। पुलिस ने कमरे की छानबीन की तो उनका टेलीफोन तार के सहारे नीचे लटक रहा था, इसलिए उनका फोन इंगेज आ रहा था। जैसे ही पुलिसकर्मी छानबीन करते कमरे के बगल से निकले तो बाहर ही शहनाज़ गुल का बेहोश पड़ी हुईं थीं। ये देखते ही पुलिस तक के होश उड़ गए क्योंकि दोनों के बीच संबंधों का पता तो पुलिस को भी था।
किताब की लेखक तूबा मसूद खान ने पाकिस्तानी मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि शहनाज़ को तुरंत जिन्ना अस्पताल पहुंचाया गया उनके साथ उनके पति सलीम भी थे। इधर जैदी के शव को लेकर डॉक्टर्स ने बयान दिया कि उनकी मौत शव मिलने के 18-24 घंटे पहले हुई है।
मुस्तफा जैदी कुछ वक्त पहले लाहौर के जिला कमिश्नर थे और पाकिस्तान के मशहूर शायर भी, ऐसे में ये केस काफी हाई-प्रोफाइल का हो गया। दूसरा उनके कमरे में शहनाज़ गुल भी बेहोश मिलीं जिससे इस केस को और ज्यादा पेचीदगियां मिल गईं। शहनाज़ और मुस्तफा दोनें के बीच शादीशुदा होने के बावजूद प्रेम संबंध थे। मुस्तफा भारत के इलाहाबाद के रहने वाले थे। वे कम उम्र में ही शायरी में दिल लगाने लग गए थे। वे मार्क्सवादी थे और प्रगतिवादी सोच के थे।
एक पार्टी में मिले थे शहनाज़ और मुस्तफा जैदी
मुस्तफा जैदी और शहनाज़ गुल एक कराची में एक सिंध क्लब में मिले थे। पहली मुलाकात में ही जैदी को शहनाज़ पसंद आ गईं वो ये बात जानते थे कि शहनाज़ शादीशुदा, खुद जैदी भी, लेकिन जैदी अपने इस इश्क को परवान चढ़ाना चाहते थे। धीरे-धीरे इनका पार्टीज़, पिकनिक में मिलना शुरु हो गया। फिर धीरे-धीरे ये मुलाकातें अकेले में होने लगीं। पुस्तक लिखने वाली तूबा मसूद खान के हवाले से पाकिस्तानी मीडिया ने बताया कि कुछ लोगों का मानना था कि मुस्तफा जैदी की हत्या की गई है, जबकि कुछ का कहना था कि जैदी ने आत्महत्या कर ली। आपको जानकर हैरानी होगी कि ये मुस्तफा जैदी इस मौत का रहस्य आज भी अनसुलझा है, मुस्तफा और शहनाज़ के अलावा कोई नहीं जानता कि 12 अक्टूबर 1970 को आखिर इस बंद कमरे में क्या हुआ था।
राइटर तूबा के मुताबिक जब उन्होंने इस मामले पर रिसर्च किया तो ये सवाल उठाये जाने लगे थे कि क्या पाकिस्तानी सरकार के पास जैदी के मामले से जुड़े कोई रिकॉर्ड्स नहीं हैं, वो भी तब जब ये एक हाईप्रोफाइल केस था। ना ही भ्रष्टाचार वाले मामले में उनकी बर्खास्तगी को लेकर और ना ही उनकी मौत को लेकर। सरकार के पास इनका कोई रिकॉर्ड ना हो कई सवाल पैदा करता है। लेकिन आलम ये है कि सरकार या अफसरशाही दोनों में से कोई भी इस स्कैंडल के बारे में बात नहीं करना चाहता।