उनका जन्म 15 जून, 1950 को भारत के राजस्थान प्रदेश की राजधानी जयपुर में हुआ। उन्होंने इतिहास, हिंदी व अंग्रेजी विषयों में पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। उन्हें विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ ने ’विद्यावाचस्पति’ (पी.एच.डी) व ’विद्यासागर’ (डी. लिट.) की मानद उपाधियां प्रदान की हैं। इनके अलावा उन्होंने इलेक्ट्रॉनिक्स व इम्मिग्रेशन ला, कनाडा में डिप्लोमा किया है। उन्हें कई संस्थाओं, विश्वविद्यालयों, भारत और कनाडा सरकार की ओर से हिन्दी साहित्य की विशिष्ट व उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सम्मानित किया गया है।
मीडिया संस्थान और पत्रकारिता
सरन घई ने अमरीका और कनाडा में हिन्दी भाषा साहित्य के साथ पत्रकारिता में भी अभूतपूर्व योगदान दिया है। उन्होंने तीन वर्ष तक न्यूयार्क, अमरीका में रहकर ’एशिया आब्ज़र्वर ( Asia observer), और ’इंडिया पोस्ट ( India post)’ समाचार पत्रों और ’कश्मीर टुडे ( Kashmir Today)’ व ’ग्लोबल ट्रेड टाइम’ ( Global trade times) पत्रिकाओं का संपादन किया। वहीं कालांतर में ’इंडिया पोस्ट’ समाचार पत्र को अमरीका से कनाडा में लॉन्च किया।
सरन घई ने लगभग 25 वर्ष तक भारतीय टेलीकम्युनिकेशन विभाग में तकनीकी पर्यवेक्षक पद पर सेवारत रहने के बाद सन 1991 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और ‘जी.टी. टेक्निकल एजुकेशन बोर्ड, जयपुर’ में ‘डायरेक्टर प्राजेक्ट्स’ के पद पर (1991–1996) कार्यरत रहे। इसके साथ ही एक एन. जी. ओ. ’सार्थक मानव कुष्ठाश्रम’, जयपुर में ‘एजुकेशन डायरेक्टर’ के मानद पद पर रहते हुए कुष्ठ रोगियों के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था के लिए जयपुर व जोधपुर, राजस्थान में 3 विद्यालय स्थापित करने में योगदान दिया। वे सन 1996 में अमरीका व कनाडा में जीवन का दूसरा पड़ाव स्थापित किया।
उन्होंने सन् 2004 से 2010 तक “टोरंटो विश्वविद्यालय,’ कनाडा में हिन्दी पढ़ाई । उनकी कई विषयों मसलन हिन्दी व अंग्रेजी व्याकरण, सामान्य ज्ञान, इतिहास, पर्यावरण, लेप्रोसी, एड्स और कुछ कविता संग्रहों सहित मेरी लगभग 60 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
उनकी एक कविता खास आपके लिए प्रस्तुत है :
भारत के जन-जन के लब पर मुखरित हो माँ भारती,
अभिलाषा बस इतनी सी है ’सरन घई’ की सुन ले जग,
यू. एन. ओ. के भाषापट पर स्थापित हो माँ भारती।