अमरीका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए ऑकस सुरक्षा समझौते के बाद यह पहला मौका था, जब दोनों देशों के राष्ट्रपति एक दूसरे से रूबरू हुए थे। इस समझौते की वजह से फ्रांस को ऑस्ट्रेलिया के साथ हुई 37 बिलियन अमरीकी डॉलर की डील से हाथ धोना पड़ा था।
-
समझौते की खबर सार्वजनिक होने के बाद फ्रांस और अमरीका के बीच रिश्तों में कड़वाहट देखी गई थी। यह मुलाकात रोम में होने वाले G-20 और ग्लासगो में COP-26 Summit से पहले अमरीकी राष्ट्रपति बिडेन की दुनिया के तमाम नेताओं से होने वाली बैठकों में से एक थी। इस दौरान बिडेन ने कहा, हमने जो किया वह नासमझी भरा था। मैं यह मानकर चल रहा था कि फ्रांस को इस बारे में पहले ही जानकारी दे दी गई थी।
ऑकस समझौते में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस समेत कई अन्य तकनीकें भी शामिल हैं। यह पिछले कई दशकों में ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े रक्षा समझौते में से एक है। इसके साथ ही इसे चीन से मुकाबला करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। इस समझौते ने साल 2016 में फ्रांस और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुए समझौते को ख़त्म कर दिया, जिसके तहत फ्रांस 12 पारंपरिक पनडुब्बियां बनाने जा रहा था।
-
समझौते की खबर आने के बाद फ्रांस के विदेश मंत्री ने इसे पीठ में खंजर मारने की संज्ञा दी थी और फ्रांस ने तात्कालिक रूप से ऑस्ट्रेलिया और अमरीका से अपने राजदूतों को वापस बुला लिया था।
इस बैठक के बाद मैक्रों ने मीडिया के साथ बातचीत में कहा कि भरोसा प्यार की तरह होता है। इसमें वादे ठीक हैं लेकिन ठोस जमीन ज्यादा बेहतर होती है।