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Israel-Hamas War: फिलिस्तीन पर ओवैसी के बयान पर पाकिस्तान का आया यह रिएक्शन

Israel-Hamas War: भारत में हैदराबाद से लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के बाद एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने फिलिस्तीन के पक्ष में नारा लगाते हुए ‘जय फिलिस्तीन’ कहने के कारण वे देश और विदेश के मीडिया की सुर्खियों में हैं।

नई दिल्लीJun 27, 2024 / 11:24 am

M I Zahir

Palestine and Owaisi

Palestine and Owaisi

Israel-Hamas War: भारत में हैदराबाद से लोकसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने के बाद (AIMIM Leader) नेता असदुद्दीन ओवैसी ( Asaduddin Owaisi) का भारत की संसद में जय फिलिस्तीन ( Jai Palestine) नारा लगाना अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक प्रेक्षकों को समझ से परे लग रहा है।

भारत सरकार फिलिस्तीन विरोधी नहीं रही

अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लोकसभा भारत सरकार का मंच है और अगर ओवैसी किसी को जवाब देना चाहते थे तो उसके लिए गैर सरकारी मंच इस्तेमाल कर सकते थे। अव्वल तो भारत ने फिलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता दे रखी है और दूसरी बात यह है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन ( Palestine ) की सदस्यता का समर्थन किया है।

भारत की संसद में नारा

तीसरी बात यह कि फिलिस्तीन के प्रधानमंत्री मुस्तफा ( Mustafa) ने कहा है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Narendra Modi) ग्लोबल लीडर हैं और वे इजराइल को समझाएं कि वह जंग समाप्त कर दे। चौथी बात यह कि ओवैसी को यह बात शायद अच्छी नहीं लगी कि मोदी को ग्लोबल लीडर कहा गया है। पांचवीं बात यह है कि ओवैसी ने भारत के संविधान की शपथ ले कर भारत की संसद में यह नारा लगाया है।

मुस्लिम देशों में हीरो बनने का सपना

राजनीतिक पंडितों के अनुसार इसका मतलब यह है कि ओवैसी मुस्लिम देशों में हीरो बनना चाहते हैं और उन्होंने भारत की संसद को टूल की तरह इस्तेमाल किया है। छठी बात यह है कि ओवैसी ने लोकसभा को एक सामान्य जनसभा के प्लेटफार्म की तरह इस्तेमाल किया है। सातवीं बात यह है कि ओवैसी भारत के सारे मुस्लिमों के नेता या हीरो नहीं माने जाते, उनका जनाधार और क्षेत्र केवल तेलंगाना और हैदराबाद तक है। आठवीं बात यह है कि उन्हें भारत का नेशनल लीडर नहीं माना जाता। नौवीं बात यह है कि जिस नेता को अपने ही देश में नेशनल लीडर न माना जाता हो, वह नेता ग्लोबल लेवल पर सुर्खियां बटोरना चाहता है। दसवीं बात यह है कि फिलिस्तीन सहित 56 इस्लामी देशों ने इसका कोई नोटिस नहीं लिया है।

फ्रॉम द रिवर टू द सी

पहले यह जानते हैं कि अगर फिलिस्तीन ( Palestine) का असली नारा फ्रॉम द रिवर टू द सी है तो फिर असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में जो जय फिलिस्तीन कहा उसका मतलब क्या है? फिलिस्तीन का असली नारा है फ्रॉम द रिवर टू द सी, यानी नदी से समुद्र तक फिलिस्तीन स्वतंत्र होगा और खास तौर से इस नारे का इस्तेमाल हमास करता है। उसका मानना है कि फिलिस्तीन एक दिन जॉर्डन नदी के किनारे से भूमध्य सागर तक रहेगा और यहूदी लोग इस भूमि से बाहर जाएंगे। वहीं इजराइल और उसके समर्थक इस नारे को इजराइल की संपूर्ण बर्बादी के नारे की तरह देखते हैं। इस नारे का मूल 1964 के आसपास का बताया जाता है।

जय फिलिस्तीन का मतलब

अगर फिलिस्तीन का असली नारा फ्रॉम द रिवर टू द सी है तो फिर असदुद्दीन ओवैसी ने संसद में जो जय फिलिस्तीन कहा उसका मतलब क्या है। कुछ जानकारों का मानना है कि असदुद्दीन ओवैसी जय फिलिस्तीन के नारे के साथ संदेश देना चाहते हैं कि वह फिलिस्तीन के लोगों के साथ खड़े हैं। जबकि, कुछ जानकारों का मानना है कि जय फिलिस्तीन का मतलब है- फिलिस्तीन की विजय हो, वहीं कुछ जानकार मानते हैं कि असदुद्दीन ओवैसी ने जय फिलिस्तीन कह कर फिलिस्तीन के संघर्ष को सलाम किया है।

भारत का फिलिस्तीन पर रुख

भारत का फिलिस्तीन और इजराइल के मामले में रुख साफ है और वह दोनों देशों के साथ संबंध बेहतर रखना चाहता है। भारत के फिलिस्तीन के साथ पुराने संबंध हैं, लेकिन साल 1950 में उसने इजराइल को मान्यता भी दी, हालांकि, भारत ने सन 1992 में इजराइल के साथ राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध स्थापित किए और ये संबंध आज भी प्रगाढ़ हैं। वहीं भारत के राजनीतिक और कूटनीतिक संबंध फिलिस्तीन के साथ भी हैं।

इंदिरा गांधी एयरपोर्ट पहुंच गई थीं

उल्लेखनीय है कि साल 1947 में भारत ने संयुक्त राष्ट्र संघ में फिलिस्तीन के विभाजन के खिलाफ वोट किया था और यहां तक कि इंदिरा गांधी ( Indira Gandhi) जब प्रधानमंत्री थीं, तब वे फिलिस्तीनी मुक्ति संगठन के नेता यासर अराफ़ात (Yasser Arafat)के स्वागत के लिए दिल्ली में एयरपोर्ट तक पहुंच गई थीं और आपको बता दें भारत ने सन 1988 में फिलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता दी थी।

समुदाय की आवाज बनने का तरीका

असदुद्दीन ओवैसी के बयान पर टीआरटी वल्र्ड ने लिखा है कि असदुद्दीन ओवेसी: भारत के हिंदू दक्षिणपंथियों से मुकाबला करने वाले मुस्लिम राजनेता जैसे-जैसे मोदी की भाजपा बहुसंख्यकवादी राजनीति के साथ भारत पर अपनी पकड़ मजबूत कर रही है, जो हिंदुओं को सबसे ऊपर रखती है, मुस्लिम नेता दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश में अपने समुदाय की आवाज बनना चाहते हैं।

सांप्रदायिक राजमार्ग पर संकीर्ण गली

टीआरटी वल्र्ड के अनुसार टोपी और कटी हुई दाढ़ी के साथ असदुद्दीन ओवैसी भारत के एक विशिष्ट मुस्लिम राजनेता की तरह दिखते हैं। भारतीय राजनीति के तेजी से बढ़ते सांप्रदायिक राजमार्ग पर अपनी संकीर्ण गली में बने रहने की कोशिश करने वाले एक नम्र मुस्लिम राजनेता की रूढ़ि के अनुरूप कोई भी अनुरूपता यहीं समाप्त हो जाती है। दक्षिणी राज्य तेलंगाना के हैदराबाद शहर के 54 वर्षीय तेजतर्रार राजनेता भारतीय राजनीति में एक विसंगति हैं।

बाएं, दाएं और केंद्र में मात दे दी


टीआरटी वल्र्ड ( TRT World ) के मुताबिक समान अवसर वाले नेता ओवेसी ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को बाएं, दाएं और केंद्र में मात दे दी है। उनके घोषित विरोधियों में दक्षिणपंथी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ मुख्य विपक्षी दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का नेतृत्व भी शामिल है, जिसने पारंपरिक रूप से भारत में धर्मनिरपेक्ष राजनीति के मानक-वाहक के रूप में मुस्लिम समर्थन जुटाया है।

पाकिस्तानी मी​डिया में आए

उधर पाकिस्तान के उर्दू दैनिक एक्सप्रेस ( Urdu Daily Express) ने लिखा है कि असदुद्दीन ओवैसी ने उर्दू में संसद सदस्य के रूप में शपथ ली और फिलिस्तीन के साथ एकजुटता व्यक्त की और अपने राज्य तेलंगाना की प्रशंसा करते हुए मुसलमानों के लिए अपनी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन के नारे लगाए।

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