सऊदी सरकार की प्राथमिकताओं में फिलिस्तीन मुद्दा कम महत्वपूर्ण
इसी भावना के अनुरूप सऊदी सरकार ने मस्जिदों में
फ़िलिस्तीन के लिए नमाज़ पढ़ने पर प्रतिबंध लगाया है। साथ ही देश में फिलिस्तीन के समर्थन में नारे लगाने पर भी रोक लगा दी गई है। इस फैसले से संकेत मिलता है कि सऊदी सरकार की प्राथमिकताओं में फिलिस्तीन मुद्दा कम महत्वपूर्ण हो गया है, जो अब आंतरिक मामलों पर अधिक ध्यान केंद्रित कर रही है। ये उपाय सऊदी अरब के भीतर धार्मिक और राजनीतिक भावनाओं में बदलाव को दर्शाते हैं, जिससे फिलिस्तीन का समर्थन करने वाले सार्वजनिक अभियानों पर कड़े प्रतिबंध लग गए हैं।
अपने आंतरिक मुद्दों और विकास की ओर अधिक ध्यान
वाकई यह खबर वाकई चौंकाने वाली है और सऊदी अरब के हालिया फैसले ने कई लोगों को हैरत में डाल दिया है।
सऊदी अरब का यह कदम उस स्थिति को दर्शाता है, जहां देश अपने आंतरिक मुद्दों और विकास की ओर अधिक ध्यान दे रहा है, जबकि फिलिस्तीन मुद्दा उनकी प्राथमिकता में पीछे चला गया है। क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का बयान इस बदलाव को स्पष्ट रूप से दर्शाता है। इस तरह के निर्णय न केवल राजनीतिक बल्कि धार्मिक भावनाओं पर भी असर डाल सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में बहुत बदलाव आ रहा
बहरहाल भारत की स्थिति फिलिस्तीन के प्रति समर्थन में स्पष्ट है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि अन्य इस्लामिक देशों और संगठनों का इस मामले पर क्या रुख होगा। सऊदी अरब का यह कदम इस बात का संकेत हो सकता है कि अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक परिदृश्य में बहुत बदलाव आ रहा है और इसका प्रभाव फिलिस्तीनियों के संघर्ष पर भी पड़ सकता है।