इन समझौतों के तहत भारत कंबोडिया में जल्द से जल्द बाघों को आबाद करने में सहयोग करेगा और उसे इसके लिए बाघ उपलब्ध कराएगा। ये करार भारत के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय और कंबोडिया के जैव विविधता समरक्षण संरक्षण एवं स्वस्थ वन्यजीव-प्रबंधन मंत्रालय के बीच हुआ है। इस बैठक में विदेश मंत्री एस जयशंकर और कंबोडिया के उनके समकक्ष भी उपस्थित थे।
इस बैठक में बाघ संरक्षण के अलावा इन चार समझौतों में से एक समझौता दोनों देशो के स्वास्थ्य मंत्रालयों के बीच चिकित्सा और औषधि क्षेत्र में सहयोग के विस्तार के लिए है। एक अन्य समझौते के तहत भारतीय प्रौद्यौगिकी संस्थान जोधपुर, कंबोडिया के इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को सांस्कृतिक विरासत की चीजों के अभिलेख तैयार करने में डिजिटल प्रौग्योगिकी के अनुप्रयोग के क्षेत्र में सहयोग करेगा।
सांस्कृतिक क्षेत्र में सहयोग के एक अन्य समझौते के तहत भारत कंबोडिया के सीनरी प्रांत में वाट राजा बो पगोड़ा के संरक्षण में सहयोग करेगा। अंकोरवाट मंदिर क्षेत्र में पुरातत्व संरक्षण कार्य में लगे भारत के अधिकारियों ने बताया कि इस मंदिर में रामायण और महाभारत के आख्यान पर केंद्रित पेंटिंग्स का विशाल संग्रह है जिसे संरक्षण की जरूरत है। अधिकारियों ने बताया कि भारत इस काम के लिए भारत वित्तीय संसाधन और सहायता उपलब्ध कराएगा।
इसके अलावा दोनों देशों के नेताओं के बीच मानव संसाधन विकास, बारूदी सुरंग हटाने और विकास की कुछ परियोजनाओं पर द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने को लेकर भी बातचीत हुई। बता दें, इसी साल सितंबर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश में कूनो अभयारण्य में नामीबिया से कुछ चीते मंगाकर छोड़े थे, ताकि देश में इस लुप्त वन्य जीव को आबाद किया जा सके।