उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के देशों के साथ ऐतिहासिक रूप से अन्याय किया गया है और इसे तत्काल सही करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार करके सिर्फ अस्थायी सदस्यों की संख्या नहीं, बल्कि स्थायी देशों की संख्या अनिवार्यता बढ़ाई जाए। इसमें एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमरीका के देशों को शामिल किया जाए। गौरतलब है कि लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधारों पर कोई भी कार्रवाई आगे नहीं बढ़ पा रही है। दूसरे विश्वयुद्ध के बाद बने संयुक्त राष्ट्र में अब भी 5 स्थायी सदस्यों अमरीका, चीन, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन का ही दबदबा बना हुआ है। तब से दुनिया में भारत, जर्मनी, जापान जैसी कई नई ताकतें उभरकर आई हैं।
न्यायसंगत और समावेशी दुनिया के लिए हों सुधारः भारत
हमारे सुधार एक अधिक न्यायसंगत और समावेशी दुनिया के लिए एक साहसिक दृष्टिकोण से निर्देशित होना चाहिए। कंबोज ने कहा कि कमजोर देशों को समान मौका दिया जाना चाहिए ताकि जो भी निर्णय लिए जाएं वे सबके हित में हो सकें। उन्होंने कहा कि इन सुधारों को समानता को बढ़ावा देने के लिए होना चाहिए।
भारत की राह में सिर्फ चीन है रोड़ा
चीन चाहता है कि वह एशिया में अकेला ऐसा देश रहे जो सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य हो। इसी वजह से चीन लगातार भारत के प्रयासों को खुद भी और पाकिस्तान समेत अन्य देशों के जरिए रोक रहा है। चीन के अलावा सभी चारों स्थाई सदस्य देश फ्रांस, ब्रिटेन, रूस और अमरीका भारत की सुरक्षा परिषद में दावेदारी का समर्थन कर चुके हैं।
भारत जी-4 के जरिए बना रहा है सुधारों का दबाव
भारत सक्रिय रूप से यूएनएससी के भीतर सुधार पर लगातार जोर दे रहा है। भारत जी4 समूह का हिस्सा है, जिसमें जर्मनी, जापान और ब्राजील शामिल हैं। इन चार देशों ने यूएनएससी के विस्तार को बढ़ावा देने और स्थायी सीटों के लिए एक-दूसरे की आकांक्षाओं का समर्थन करने के लिए एक गठबंधन बनाया है। वहीं जी 4 को रोकने के लिए चीन के इशारे पर पाकिस्तान ने अपना एक अलग गुट बनाया है और सुधारों का विरोध कर रहा है।
भारत-अमरीका संबंध सबसे अधिक अहमः ब्लिंकन
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने डिफेंस सेक्टर के डावोस कहे जाने वाले म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन से इतर अमरीकी समकक्ष एंटनी ब्लिंकन से मुलाकात की। इस दौरान दोनों पक्षों में द्विपक्षीय मुद्दों के साथ पश्चिम एशिया, यूक्रेन और भारत-प्रशांत की स्थिति पर चर्चा हुई। इस दौरान ब्लिंकन ने भारत के साथ संबंधों की सराहना करते हुए कहा यह संबंध अमरीका के लिए ‘दुनिया में सबसे अधिक दूरगामी परिणामों वाले रिश्तों’ में है।
आज भारत दौरे पर आएंगे रिचर्ड वर्मा
अमरीका के उप विदेश मंत्री रिचर्ड वर्मा 18 से 23 फरवरी तक भारत, मालदीव और श्रीलंका की यात्रा करेंगे। इस दौरान वह हिंद-प्रशांत साझेदार के बीच सहयोग को भी मजबूत करेंगे। अपनी यात्रा के दौरान रिचर्ड वर्मा सबसे पहले रविवार को भारत आ रहे हैं। भारत में वह आर्थिक विकास, सुरक्षा और प्रौद्योगिकी सहित कई मुद्दों पर अमेरिकी-भारत वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों, व्यापारिक नेताओं और उद्यमियों से मुलाकात करेंगे। वर्मा के साथ पब्लिक डिप्लोमैसी के लिए अमरीका की उप मंत्री एलिजाबेथ मैरी एलन भी भारत आ रही हैं।