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Global Warming: अब भी नहीं चेते…सूखने वाला है हिमालय, 30 सालों तक पानी भी नहीं होगा नसीब

साल दर साल धरती का बढ़ता तापमान अब विशाल हिमालय को सुखाने वाला है। धरती का तापमान महज 3 डिग्री भी बढ़ा तो बड़ी तबाही अपना मुंह बाये खड़ी होगी।

Mar 01, 2024 / 09:58 am

Jyoti Sharma

Himalayas are going to dry up due to global warming

Himalayas are going to dry up due to global warming

अगर कोई कहे कि इस दुनिया की सबसे बड़ी समस्या या सबसे बड़ा खतरा क्या है, तो इसका एक नहीं अनेक जवाब होंगे, लेकिन सच मानिए तो इसका एक ही सबसे बड़ा और सबसे अहम खतरा है, और वो है ग्लोबल वार्मिंग (Global Warming) का। जो साल-दर-साल एक भयानक रूप लेती जा रही है, वैज्ञानिकों की तमाम चेतावनियों के बावजूद इंसानों ने अपनी कार्यशैली नहीं बदली और ना बदला प्रकृति के प्रति उसका बर्ताव, जिसका एक भयानक अंजाम अब हम भुगतने वाले हैं। दरअसल ब्रिटेन के वैज्ञानिकों ने एक नई रिसर्च में बेहद डराने वाली चेतावनी जारी की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि ग्लोबल वार्मिंग के चलते धरती का तापमान साल दर साल बढ़ रहा है, अब अगर ये 3 डिग्री भी बढ़ जाता है तो हिमालय (Himalayas) क्षेत्र पूरा सूख सकता है।
पेरिस समझौते के टारगेट का हो पालन

इस नई रिसर्च में चेतावनी दी गई है कि इस 3 डिग्री की बढ़ोतरी से हिमालय का 90 फीसदी हिस्सा एक साल तक सूखे की मार झेलेगा लेकिन ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने के पेरिस समझौते के टारगेट का पालन कर भारत इस बढ़ते जोखिम को 80 फीसदी तक कम कर सकता है।
जर्नल क्लाइमैटिक चेंज में प्रकाशित शोध के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग से सूखा, बाढ़, पैदावार में गिरावट, जैव विविधता और प्राकृतिक पूंजी के नुकसान का खतरा बढ़ जाता है। ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने से भारत में 50 फीसदी बॉयो-डाइवर्सिटी को बचाने में मदद मिल सकती है। ब्रिटेन के ईस्ट एंग्लिया विश्वविद्यालय (UEA) के शोधकर्ताओं ने भारत, ब्राजील, चीन, मिस्र, इथियोपिया और घाना पर शोध किया है।
30 साल तक पड़ेगा गंभीर सूखा

रिसर्च के मुताबिक तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस बढ़ोतरी से खेती की जमीन को सूखे की ज्यादा मार झेलनी पड़ती है। ऐसा होने पर हर देश में 50 फीसदी से ज्यादा खेती की जमीन को एक से 30 साल तक गंभीर सूखे की मार झेलनी पड़ सकती है। ग्लोबल वॉर्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित करने से नदियों और झरनों में आने वाली बाढ़ से भी बचा जा सकता है।
कोशिशों की जरूरत

शोधकर्ताओं ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग कम करने के लिए और ज्यादा कोशिशों की जरूरत है, क्योंकि इस समय वैश्विक स्तर पर चल रही नीतियों से ग्लोबल वार्मिंग में तीन डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी की आशंका है।

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