क्या है पूरा मामला?
हरेश जोगानी पांच जोगानी भाइयों में से एक हैं, जो गुजरात के एक प्रसिद्ध डायमंड बिज़नेस फैमिली के सदस्य हैं। जोगानी परिवार ने गुजरात से अपना बिज़नेस शुरू किया था और इसे नॉर्थ अमेरिका, यूरोप और अफ्रीका में भी फैलाया। हरेश के भाई शशिकांत जोगानी 1969 में 22 साल की उम्र में अपनी खुद की फर्म शुरू करने के लिए अमेरिका के कैलिफोर्निया चले गए थे। वहाँ उन्हें काफी नुकसान हुआ और इसके बाद वह हरेश और अन्य भाइयों को फर्म में पार्टनर्स के रूप में ले आए। इसके बाद हरेश और उनके परिवार ने बिज़नेस को फैलाया और बढ़ाया भी और 17,000 अपार्टमेंट्स का एम्पायर खड़ा किया।
पर इसके बाद हरेश ने कुछ ऐसा किया जिससे चीज़ें बिगड़ गई। हरेश ने अपने भाइयों को फर्म के मैनेजमेंट से ज़बरदस्ती हटा दिया और शशिकांत के साथ ही दूसरे पार्टनर्स को भुगतान करने से इनकार कर दिया। हरेश ने यह भी कहा कि लिखित समझौते के बिना उसके भाई यह साबित नहीं कर सकते कि उनके बीच कोई पार्टनरशिप थी। हरेश ने अपने सभी भाइयों को फर्म से बाहर भी कर दिया था। ऐसे में शशिकांत ने 2003 में हरेश पर मुकदमा कर दिया।
क्या सुनाया फैसला?
2003 से चला आ रहा यह मुकदमा 18 अपीलों के साथ ही कई तारीखों, कई पीढ़ियों के वकीलों और लॉस एंजिल्स सुपीरियर कोर्ट के 5 न्यायाधीशों से होकर गुजर चुका है और अब 21 साल बाद एक फैसले पर पहुंचा है। लॉस एंजिल्स की ही एक अदालत ने पांच भाइयों से जुड़े इस मामले में 21 साल बाद अपना फैसला सुनाते हुए हरेश को पूरी संपत्ति (17,000 अपार्टमेंट्स के साथ) और शेयरों के बंटवारे के साथ 20 हज़ार करोड़ की भारी रकम देने का आदेश दिया है।