कैसे खत्म हुआ मंगल पर जीवन?
मंगल पर अगर जीवन था तो वो कैसे खत्म हुआ इसे लेकर साइंस एडवांस में एक शोध प्रकाशित हुआ है, इसमें कहा गया है कि जिस तरह धरती पर जलवायु परिवर्तन हो रहा है वैसे ही मंगल ग्रह पर भी हुआ। जिसके चलते यहां पर मौजूद कार्बन डाई ऑक्साइड गैस वायुमंडल से बाहर निकल गई या मीथने में बदल गई। ये मीथेन अभी भी मंगल ग्रह पर पड़ी लाल मिट्टी में है। रिसर्च के मुताबिक कार्बन को वायुमंडल से बाहर ले जाने में मिट्टी के खनिज स्मेक्टाइट के बारे में बताया। ये स्मेक्टाइट अरबों सालों तक कार्बन को अपने अंदर रख लेता है। ये मिट्टी के खनिज टेक्टोनिक प्लेटों की हलचल से तैयार होती हैं, वही टेक्टोनिक प्लेट जिन पर ये धरती पर महाद्वीप बसे हुए हैं, और जिनकी हलचल से भीषण भूकंप आ जाते हैं। शोध के मुताबिक इन्हीं खनिज ने कार्बन डाइऑक्साइड को अपनी तरफ खींचा और धीरे-धीरे करके पूरी गैस सोख ली। जिसके चलते वहां का वायुमंडल प्रभावित हुआ। जिससे धीरे-धीरे जीवन ही खत्म हो गया।
अल्फामैफिक चट्टानों पर बारिश से बना ये स्मेकटाइट्स खनिज
रिसर्च के मुताबिक मंगल पर पानी की मौजूदगी थी। वहां पर बारिश भी होती थी। मंगल की चट्टान अल्फामैफिक की है। जो कई परत नीचे है। शोध में कहा गया है कि इन्हीं चट्टान पर पानी बरसा और पानी ने इस चट्टान से टकराकर स्मेकटाइट्स खनिज का निर्माण किया, जिससे मंगल पर तबाही शुरू हो गई। क्योंकि शोध में अल्फामैफिक और पानी का रिएक्शन कराने का मॉडल तैयार हुआ था जिससे ये खुलासा हुआ।