तापमान में लगातार 8-10 केल्विन की गिरावट दर्ज
फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी (PRL) के रिसर्चर्स ने
NASA के Lunar Reconnaissance Orbiter (LRO) के डेटा की मदद ली। उन्होंने 2017 से 2023 के बीच चंद्रमा की छह अलग-अलग जगहों पर रात के समय आए बदलावों का विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि लॉकडाउन के दौरान, बाकी सालों के उसी समय (अप्रेल-मई) के मुकाबले तापमान में लगातार 8-10 केल्विन की गिरावट दर्ज की गई। चूंकि तमाम फैक्ट्रियां, कारें और अन्य प्रदूषणकारी गतिविधियां बंद थीं, इंसान भी घर से बाहर नहीं निकल रहे थे, तो ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में खासी गिरावट आई। इससे पृथ्वी के वायुमंडल में कम ऊष्मा फंसी और फिर से उत्सर्जित हुई। PRL के रिसर्चर्स मानते हैं कि लॉकडाउन की वजह से पृथ्वी के रेडिएशन में कमी आई। इस कारण चांद पर तापमान घटने लगा। चांद एक तरह से धरती के रेडिएशन सिग्नेचर के एम्प्लीफायर की तरह काम करता है।
लॉकडाउन खत्म होते ही बढ़ा चांद का पारा
रिसर्चर्स ने यूं तो 12 साल के डेटा का विश्लेषण किया, लेकिन अपनी स्टडी में सात साल (2017-2023) का इस्तेमाल किया है। यानी लॉकडाउन से तीन साल पहले और तीन साल बाद के तापमान का विश्लेषण किया और सन 2020 में साइट-2 पर सबसे कम तापमान 96.2 K था, जबकि 2022 में साइट-1 पर सबसे कम तापमान 143.8 K था. आम तौर पर, 2020 में अधिकतर साइटों पर सबसे कम तापमान देखा गया। जैसे ही कई देशों ने लॉकडाउन हटाना शुरू किया और सन 2021 और 2022 में चंद्रमा पर गर्मी बढ़ने लगी। मौसम में बदलाव
चंद्रमा का तापमान घटने के पीछे सौर गतिविधियां या फ्लक्स में मौसमी बदलाव भी कारण हो सकता था. लेकिन रिसर्चर्स के अनुसार, अन्य संभावित वजहों की भी जांच की गई, जिसके नतीजे बताते हैं कि इनमें से किसी का भी देखे गए सिग्नेचर पर प्रभाव नहीं पड़ा, इससे
भारतीय वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुंचे कि केवल कोविड लॉकडाउन की वजह से ऐसा हुआ होगा।