scriptColony on Mars: मंगल पर इंसानों की बस्ती बनाने में मिलेगी जल्द कामयाबी! इस तरह से तापमान बढ़ाकर रहने लायक बनाएंगे वैज्ञानिक | Colony on Mars will soon be successful in building a human colony! In this way scientists will make it habitable by increasing the temperature | Patrika News
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Colony on Mars: मंगल पर इंसानों की बस्ती बनाने में मिलेगी जल्द कामयाबी! इस तरह से तापमान बढ़ाकर रहने लायक बनाएंगे वैज्ञानिक

Human Colony on Mars : मंगल ग्रह का तापमान इस समय 65 डिग्री सेल्यिस के आसपास है। यह मनुष्यों के लिहाज से बेहद कम तापमान है। वैज्ञानिकों ने यहां का तापमान बढ़ाने का उपाय ढूंढ लिया है।

नई दिल्लीAug 13, 2024 / 10:56 am

स्वतंत्र मिश्र

Mars

Huge step towards establishing a colony on Mars: वैज्ञानिक काफी समय से मंगल ग्रह पर इंसानों के लिए बस्ती बसाने की संभावनाएं खोजने में जुटे हैं। मंगल का बेहद कम तापमान सबसे बड़ी बाधा है। इसकी सतह पर औसत तापमान माइनस 65 डिग्री सेल्सियस के आसपास है। अमरीकी वैज्ञानिकों के नए शोध में निष्कर्ष निकाला गया है कि अगर कृत्रिम तरीके से मंगल का तापमान बढ़ाया जाए तो वहां के वातावरण को इंसानों के लिए अनुकूल बनाया जा सकता है।

वैज्ञानिकों ने खोज निकाला तापमान बढ़ाने का तरीका

साइंस डेली की रिपोर्ट के मुताबिक यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो, नॉर्थ वेस्टर्न यूनिवर्सिटी और सेंट्रल फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने शोध में वह तरीका भी पेश किया है जिससे मंगल का तापमान बढ़ाया जा सकता है। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि लोहे या एल्युमिनियम से बने चमकीले कणों को धूल की तरह मंगल के वातावरण में छोड़ा जाए तो ये ग्रह की गर्मी सोख सकते हैं। इससे मंगल पर ग्रीन हाउस इफेक्ट होगा और इसकी सतह का तापमान 50 डिग्री फारेनहाइट ((28 डिग्री सेल्सियस) तक बढ़ जाएगा। हालांकि इन कणों से इतना तापमान होने में करीब 10 साल लगेंगे।

ग्रीनहाउस गैसों के मुकाबले ज्यादा कारगर

इससे पहले भी मंगल ग्रह को गर्म करने की कई योजनाएं बन चुकी हैं लेकिन नए शोध मे पेश तकनीक को सबसे बेहतर और कारगर माना जा रहा है। शोधकर्ताओं में शामिल एडविन काइट के मुताबिक टेराफॉर्मिंग (किसी ग्रह के पर्यावरण को पृथ्वी जैसा बनाना) की पहले की योजनाएं ग्रीनहाउस गैसों को छोडऩे पर केंद्रित थीं। इसके लिए बहुत ज्यादा संसाधनों की जरूरत होगी, जो मंगल पर उपलब्ध नहीं हैं।

हर सेकंड आठ गैलन की दर से…

शोध में वैज्ञानिकों का प्रस्ताव है कि कई साल तक हर सेकंड करीब आठ गैलन (30 लीटर) की दर से छोटे कणों (नैनोरॉड्स) को लगातार मंगल के वातावरण में छोड़ा जाए। चूंकि मंगल की सतह पर लोहा और एल्युमिनियम प्रचुर मात्रा में हैं, इसलिए ऐसे कणों के निर्माण के लिए वहां उपकरण भेजा जाए। एक शोधकर्ता ने कहा, इस पर कितना खर्च होगा, इसका हिसाब फिलहाल नहीं लगाया गया है।

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